45 मिनट मरकर दोबारा जिंदा हो गया शख्स, वापस आकर लोगों को बताई मौत की दुनिया से जुड़ी अनकही बातें

हटके डेस्क : दुनिया में मौजूद हर शख्स के दिल में कभी-ना-कभी ये जानने की ख्वाहिश होती है कि आखिर मौत के बाद इंसान के साथ क्या होता है? आज तक इसका जवाब कोई नहीं दे पाया। लेकिन 45 साल के माइकल नैपिन्स्की वो शख्स है, जो मरने के बाद 45 मिनट बाद फिर जिंदा हो गए। जी हां, अभी तक आपने ऐसा कहानियों में सुना होगा कि मौत के बाद कोई फिर से जिंदा हो गया हो। लेकिन ये कोई कहानी नहीं बल्कि हकीकत है। डॉक्टर्स ने तक कहा कि ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि उनका दिल 45 मिनट तक एक बार भी नहीं धड़का। परिजन जो उसकी मौत के बाद दुखी थे, वो भी आश्चर्यचकित रह गए।

Asianet News Hindi | Published : Nov 16, 2020 10:11 AM IST
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45 मिनट मरकर दोबारा जिंदा हो गया शख्स, वापस आकर लोगों को बताई मौत की दुनिया से जुड़ी अनकही बातें

45 साल के माइकल नपिन्स्की 7 नवंबर को माउंट रेनियर नेशनल पार्क में स्नोशिंग कर रहे थे। इस दौरान बर्फ ज्यादा होने की वजह से वो अपने साथी से बिछड़ गया और घुम गया।

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जब वह वापस नहीं लौटा तो माउंटेन पर रेस्क्यू टीम भेजी गई। बर्फीली पहाड़ियों के बीच माइकल को खोजा गया पर वह कहीं नहीं मिला। इसके 1 दिन बाद रेस्क्यू टीम के  बचावकर्मियों ने उन्हें 8 नवंबर की मृत अवस्था में पाया।

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इसी हेलीकॉप्टर के जरिए माइकल नपिन्स्की को लाया गया था। इस दौरान जब डॉक्टर ने उन्हें चेक किया, तो उनका दिल काम करना बंद कर चुका था और डॉक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था।

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वह लगभग 45 मिनट तक मृत रहा, फिर भी टीमों ने उसे एक एक्स्ट्राकोर्पोरियल झिल्ली ऑक्सीजनेशन (ईसीएमओ) मशीन तक पहुंचा दिया। डॉक्टर्स ने हार नहीं मानी और एक मरे हुए इंसान को जिंदा करने का करिश्मा कर दिखाया।

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डॉक्टर्स के साथ-साथ माइकल के परिजन भी आश्चर्यचकित थे कि कैसे उन्होंने एक मरे हुए आदमी को जिंदा करने का करिश्मा कर दिखाया। 

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मौत के मुंह से वापस आने के बाद उन्होंने अपना एक्सपीरियंस लोगों के साथ शेयर किया। उन्होंने कहा कि 'ये किसी भयानक सपने से कम नहीं था। डॉक्टर्स ने मुझे जिंदा करके नई जिंदगी दी है। अब मैं अपना जीवन दूसरों को समर्पित करना चाहता हूं'। बता दें कि उन्हें अभी 10 तारीख को ही होश आया है।

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बता दें कि ईसीएमओ के जरिए ब्लड शरीर से हार्ट-फेफड़े की मशीन के बाहर पंप किया जाता है जो कार्बन डाइऑक्साइड को हटाता है और शरीर में ऑक्सीजन से भरे खून को वापस टिशू में भेजता है।

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इस प्रक्रिया का उपयोग फिलहाल कुछ COVID-19 रोगियों के इलाज के लिए किया जा रहा है, लेकिन यह बहुत मुश्किल, महंगा और जोखिम भरा ट्रीटमेंट है। जिसमें मरीज के बचने की उम्मीद ना के बराबर होती है।

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तस्वीर में नजर आ रही मशीन ही ECMO मशीन  है। वैसे तो इसका उपयोग आमतौर पर नवजात शिशुओं के लिए किया जाता है, लेकिन इसका उपयोग वयस्कों में भी किया जा रहा है। अमेरिका में केवल 264 अस्पतालों में ईसीएमओ मशीन है।

 

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