पाकिस्तान में यहां गिरे थे भगवान शिव के आंसू, शिवरात्रि पर इन मंदिरों में भी गूंजता है बम बम भोले

नई दिल्ली. शुक्रवार को शिवरात्रि है। यह त्योहार सिर्फ देश में ही नहीं बल्कि जहां भी हिंदू रहते हैं, वहां धूमधाम से मनाया जाता है। यहां तक की पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी शिवरात्रि पर दर्शन और जलाभिषेक के लिए लोग पहुंचते हैं। हालांकि, पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या में कमी होने के साथ साथ मंदिरों की संख्या भी घटी है। पाकिस्तान में अब गिने चुने ही शिव मंदिर हैं। शिवरात्रि के मौके पर हम आपको पाकिस्तान के ऐसे ही 5 मंदिरों के बारे में बता रहे हैं, जहां शिवरात्रि पर बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। 

Asianet News Hindi | Published : Feb 21, 2020 8:51 AM IST

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पाकिस्तान में यहां गिरे थे भगवान शिव के आंसू, शिवरात्रि पर इन मंदिरों में भी गूंजता है बम बम भोले
1- शिव कटासराज मंदिर: शिव कटासराज मंदिर पाकिस्तान के पंजाब में है। पाकिस्तान में रह रहे हिंदू इसे तीर्थ स्थल मानते हैं। यह मंदिर 900 साल पुराना है। माना जाता है कि जब माता सती हुई थीं, तब भगवान शंकर के दो आंसू टपके थे। एक आंसू यहां कटास में और दूसरा अजमेर में टपका था। जहां पुष्करराज तीर्थस्थल है। हालांकि, देखरेख ना होने के चलते कटास मंदिर का वह सरोवर अब सूख गया है।
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2- तेजा सिंह मंदिर: यहां के सिंध प्रांत के उमरकोट में 1000 साल पुराना विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर है। तेजा सिंह मंदिर को 72 साल बाद कुछ दिन पहले ही श्रद्धालुओं के लिए खोला गया है। इस मंदिर की नक्काशी अपने आप में इसके सुनहरे अतीत को बताती है। इसमें भारतीय स्थापत्य की छाप मिलती है।
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3- रत्नेश्वर महादेव: कराची में रत्नेश्वर महादेव मंदिर है। यह करीब 150 साल पुराना है। इस मंदिर में शिव के अलावा अन्य देवी देवताओं की मूर्ति भी हैं। हर रविवार यहां भंडारा भी होता है। इस मंदिर को कट्टरपंथियों ने काफी नुकसान पहुंचाया है।
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4- चित्ती गट्टी में 200 साल पुराना मंदिर: पाकिस्तान के चित्ती गट्टी में 200 साल पुराना मंदिर है। मंदिर के गर्भगृह में शिवलिंग स्थापित्य है। यहां महाशिवरात्रि का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह मंदिर सिर्फ शिवरात्रि पर ही खुलता है। इस मंदिर में भगवान गणेश, शिव पार्वती, काली समेत अन्य देवी देवताओं की मूर्ति है।
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5- जोही : पाकिस्तान के जोही में एक शिव का काफी प्रसिद्ध मंदिर है। यह करीब 200 साल पुराना है। इस मंदिर को कट्टरपंथियों ने चारों तरफ से तोड़ दिया है। बताया जाता है कि इस इलाके में जब हिंदू रहते थे, उस वक्त ये मंदिर बनाया गया। लेकिन बंटवारे के बाद से इस मंदिर का हाल बुरा होता चला गया है। अब यहां मूर्तियां भी टूट चुकी हैं।
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