लेकिन इन सबके बावजूद हजरत अपने बेटे को लेकर कुर्बानी के लिए ले जाने का फैसला किया। लेकिन जब वे रास्ते में जा रहे थे, तो रास्ते में एक शैतान ने उन्हें रोक लिया। शैतान ने इब्राहिम से सवाल किया कि वह अपने बेटे की कुर्बानी दे देगा तो उसकी देखभाल कौन करेगा। यह सुनकर इब्राहिम सोच में पड़ गए। लेकिन अल्लाह को किया वादा निभाने के लिए वे फिर आगे बढ़ गए।