7 की उम्र के बच्चे का सिर्फ 7 किलो वजन, कंकाल में बदला शरीर... विकराल तस्वीर देख रह जाएंगे दंग

Published : Jan 05, 2021, 05:08 PM IST

सना. यमन से एक ऐसी विकराल तस्वीर सामने आई, जिसने सबको चौंका दिया है। दरअसल, यहां एक 7 साल का बच्चा कुपोषण और भुखमरी के चलते कंकाल में बदल चुका है। उसका वजन सिर्फ 7 किलो है। जबकि 7 साल के सामान्य बच्चे का वजन 22 किलो तक होता है। 

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7 की उम्र के बच्चे का सिर्फ 7 किलो वजन, कंकाल में बदला शरीर... विकराल तस्वीर देख रह जाएंगे दंग

समाचार एजेंसी रायटर्स के मुताबिक, बच्चे का नाम फैयद समीम है। वह पैरालाइसिस और कुपोषण का सामना कर रहा है। इन बीमारियों के चलते समीम की हालत काफी बुरी हो गई है। उसका वजन सिर्फ 7 किलो रह गया है। (Photos- Reuters)

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फिलहाल समीम का इलाज यमन की राजधानी सना के एक हॉस्पिटल में चल रहा है। डॉक्टरों का कहना है कि समीम की मुश्किल में जान बच पाई है। अल शबीन हॉस्पिटल के कुपोषण वार्ड के सुपरवाइजर डॉक्टर रागेह मोहम्मद ने बताया, जब समीम को यहां लाया गया था, तो उसकी जान लगभग आधी जा चुकी थी। (Photos- Reuters) 

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उन्होंने कहा, अल्लाह का शुक्र है कि समय रहते उचित कदम उठाए जा सके, इससे वह बच गया। उसकी तबीयत अब ठीक हो रही है। समीम को सेरब्रल पॉल्जी और कुपोषण है। (Photos- Reuters)
 

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समीम एक गरीब परिवार से है। उसके परिवार के पास पैसे नहीं है कि वे इलाज तक करवा पाएं। समीम का इलाज डोनेशन पर निर्भर है। यमन में गृह युद्ध के चलते कुपोषित बच्चों की संख्या बढ़ रही है। (Photos- Reuters)

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वहीं, यूएन का कहना है कि यमन दुनिया में सबसे बड़े मानवीय संकट का सामना कर रहा है। यहां आधिकारिक तौर पर अकाल घोषित नहीं किया गया। लेकिन पिछले 6 साल से 80 फीसदी आबादी मदद के भरोसे जी रही है। (Photos- Reuters)

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यमन में 2015 से चल रहा गृह युद्ध
यमन में 2015 से गृह युद्ध चल रहा है।  यहां ईरान समर्थित विद्रोहियों के साथ सरकार का युद्ध चल रहा है। प्रधानमंत्री मीन अब्दुल मलिक सईद की सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त है। हालांकि, वे गृहयुद्ध के चलते वह ज्यादातर वक्त निर्वासित रहे। उनकी सरकार सऊदी अरब की राजधानी रियाद से काम कर रही थी।

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हूथी विद्रोहियों का उत्तरी यमन के साथ राजधानी सना पर भी कब्जा है। हूथी विद्रोहियों को पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह का समर्थक माना जाता हैं। अल कायदा और इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक भी यमन के इलाकों पर कब्जे के लिए हमला करते रहते हैं। यहां 2015 से जनवरी 2017 तक 10 हजार नागरिकों समेत कुल 16 हजार 200 लोग मारे जा चुके थे। 

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