आपसे भी सीख सकते हैं बच्चे ये गलत आदतें, इन 5 बातों पर जरूर दें ध्यान

हर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनका बच्चा हर तरह से अच्छा हो। उनकी यही इच्छा होती है कि बच्चा पढ़ाई में तो बढ़िया करे ही, उसकी आदतें भी अच्छी हों। लेकिन कई बार पेरेन्ट्स की गलतियों को बच्चे अपना लेते हैं। 
 

लाइफस्टाइल डेस्क। हर माता-पिता यही चाहते हैं कि उनका बच्चा हर तरह से अच्छा हो। उनकी यही इच्छा होती है कि बच्चा पढ़ाई में तो बढ़िया करे ही, उसकी आदतें भी अच्छी हों। लेकिन कई बार पेरेन्ट्स की गलतियों को बच्चे अपना लेते हैं। अक्सर बच्चे बड़ों की बातों को बहुत जल्दी सीख लेते हैं। अगर बड़े लोगों का व्यवहार अच्छा है और उनमें किसी तरह की कोई गलत आदत नहीं है, तो बच्चे भी सही व्यवहार करते हैं। लेकिन अगर घर में कोई झूठ बोलता हो, लड़ाई करता हो, गालियां देता हो तो बच्चे यह भी सीख लेते हैं।

1. उपदेश देने का बच्चों पर नहीं होता असर
ऐसे पेरेन्ट्स की कमी नहीं है जो खुद तो गलत आदतों के शिकार होते हैं, लेकिन अपने बच्चों से यह उम्मीद करते हैं कि वे हर तरह की बुरी आदतों से बचे रहें। इसके लिए वे बच्चों को उपदेश देते हैं। कई पेरेन्ट्स तो बच्चों को कहते हैं कि उनकी जिंदगी भली हो या बुरी, निकल गई। यह कह कर वे अपनी गलत आदतों का बचाव करते हैं, लेकिन बच्चों की गलत आदत पर गुस्से में बेकाबू हो जाते हैं। दरअसल, बच्चे बड़ों से ही सीखते हैं। इसलिए उनके सामने अच्छा उदाहरण पेश करना चाहिए। 

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2. बच्चों के सामने नशा नहीं करें
ऐसे पेरेन्ट्स की भी कमी नहीं है, जो बच्चों के सामने शराब पीते हैं या नशा कर के घर आते हैं। बहुत से पेरेन्ट्स तो बच्चों के सामने सिगरेट पीने में कोई बुराई नहीं समझते। कुछ तो बच्चों से सिगरेट मंगवाते तक हैं। ऐसे पेरेन्ट्स अगर सोचते हैं कि उनका बच्चा इस गलत आदत को नहीं अपनाएगा तो वे भ्रम में हैं। अक्सर बच्चे घर के माहौल से ही प्रभावित होकर सिगरेट-शराब पीने लगते हैं या दूसरा नशा करते हैं। 

3. झूठ बोलना
बच्चों में झूठ बोलने की आदत घर से ही पड़ती है। ऐसे काफी पेरेन्ट्स हैं जो बच्चों के सामने बहुत सफाई से झूठ बोल देते हैं। यही नहीं, वे बच्चों को भी झूठ बोलने के लिए कहते हैं। अगर कोई उनसे मिलने आता है और वे मिलना नहीं चाहते तो अपने बच्चे से कहते हैं कि जाकर बोल दो कि मैं घर पर नहीं हूं। इससे बच्चे में झूठ बोलने की आदत पड़ने लगती है। वे किसी भी छोटी-बड़ी बात पर दोस्तों से और घर के लोगों से झूठ बोलने लगते हैं। फिर उन्हें नैतिक बोध की कितनी भी कहानियां सुनाई जाएं, उन पर कोई असर नहीं पड़ता। बच्चे अपने घर और आसपास के माहौल से ही भला हो या बुरा, सीखते हैं।  

4. गाली देना और अभद्र भाषा का इस्तेमाल
ऐसा देखने में आता है कि कुछ बच्चे बात-बात पर गाली देते हैं और गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। यह भी वे अपने घर या आसपास के माहौल से ही सीखते हैं। जिन घरों में पेरेन्ट्स बातचीत के दौरान गालियां देते हैं या किसी के लिए अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करते हैं, तो बच्चे इसे तुरंत सीख जाते हैं। ऐसा वे स्कूल में गलत संगति में भी सीख सकते हैं। इसलिए बच्चों के सामने गलत व्यवहार कभी नहीं करना चाहिए।

5. दूसरों की इज्जत नहीं करना
बहुत बच्चे दूसरों की इज्जत नहीं करते। कोई अगर उनके घर आता है तो उसे नमस्ते नहीं करते, न ही बैठने को कहते हैं। यह भी दरअसल वे अपने पेरेन्ट्स और घर के दूसरे लोगों से ही सीखते हैं। अगर आप किसी को रेस्पेक्ट नहीं देंगे तो आपका बच्चा भी उसे रेस्पेक्ट नहीं देगा। आप किसी को नीची निगाह से देखेंगे तो बच्चा भी उसकी परवाह नहीं करेगा। अगर आप किसी का अपमान करते हैं और उसके साथ गलत तरीके से पेश आते हैं, तो बच्चे में भी यह गलत आदत विकसित हो जाएगी। बच्चे जो देखते हैं, वही सीखते हैं। क्या गलत है और क्या सही, इसकी समझ उनमें तब आती है, जब वे बड़े हो जाते हैं। वैसे, एक बार गलत आदत लग जाने पर उसमें सुधार बहुत मुश्किल होता है।  


 

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