
Durga Puja 2025 Date: शारदीय नवरात्रि समापन की ओर है। 1 अक्टूबर को कन्या पूजन और नवमी मनाई जाएगी। जबकि दशहरा इस साल 2 अक्टूबर को मनाया जाएगा। विजयादशमी का इन दिन बेहद खास होता है। एक तरफ रावण का पुतला दहन किया जाता है तो दूसरी तरफ सुहागिन महिलाएं सिंदूर खेला की रस्म निभाकर मां दुर्गा को विदाई देते हैं। यदि आप भी शादी के बाद पहली बार सिंदूर खेलने की इस रस्म में शामिल होने जा रही हैं तो लुक खास होना बनता है। इस दिन लाल और सफेद साड़ी पहनना शुभ माना जाता है। आप भी फैशन में ट्रेडिशनल स्टाइल जोड़ते हुए आउटफिट संग शाखा-पोला कंगन वियर करें, ये आपको बंगाली लुक देने में कमी नहीं रखेगा।
शाखा-पोला कंगन लाल और सफेद रंग में आते हैं। आप प्लेन डिजाइन नहीं चाहती हैं तो गोल्ड प्लेटिंग पर आने वाले इस तरह के बैंगल्स को सिंदूर खेला के लिए चुन सकती हैं। इससे मिलती-जुलती आर्टिफिशियल पैटर्न पर भी मिल जाएगी। यहां तक आकार काफी पतला रखा गया है। चूड़ी नहीं पहनना चाह रही हैं तो चौकोर या पचेली स्टाइल में इसे चुनें। ये लाल और हरी रंग की चूड़ियों संग खूब प्यारे लगते हैं।
हाथ में एक-एक कड़े पहनती हैं तो बारीक मेटल वर्क पर इस तरह का शाखा-पोला कड़ा चुना जा सकता है। एक तो ये 300 रुपए तक मिल जाएगा और सस्ता होकर भी कलाइयों को क्लासी लुक देगा। आप चाहें तो इसे किसी भी रंग की चूड़ियों के साथ सेट कर भी पहन सकती हैं।
आजकल आगे-पीछे बड़े कड़ा और बीच में चूड़ी शेप बैंगल पहनने का चलन बढ़ गया है। ये साड़ी के साथ बहुत खूबसूरत लुक देते हैं। सिंदूर खेला के लिए साड़ी बिल्कुल सोबर चुनी है तो आप इन कड़ों के साथ हैवी लुक दे सकती हैं। इसे फाइबर और प्लास्टिक पर तैयार किया गया है, जहां बीच में आर्टिफिशियल गोल्ड का काम किया गया है।
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शंखा पोला को आम भाषा में शाखा पोला भी कहते है। ये बंगाली महिलाओं के रीति रिवाजों का हिस्सा है। ये कंगन केवल शादीशुदा महिलाएं ही पहनती है। जबकि नई दुल्हन को शादी के समय ये पहनाया जाता है।
शाखा पोला कंगन को शाखा की सफेदी और पोल को लाख या मूंगा से बनाया जाता है। असली कंगनों में प्राकृतिक चमक होने के साथ थोड़ा भार होता है। जिसकी मदद से इसकी पहचान की जा सकती है।
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पश्चिम बंगाल में सुहागिन महिलाओं के शाखा-पोला पहनने की रस्म 300 साल से ज्यादा पुरानी है। इसे केवल सुहागिन महिलाएं ही पहनती हैं। इतना ही नहीं इस रस्म के लिए शादी के दौरान खास मुहूर्त देखा जाता है। कहा तो ये भी जाता है जहां से इन कंगनों को खरीदने के लिए किसी तरह का कोई मोल भाव नहीं किया जाता है।