
Usha Mandir: राजस्थान के भरतपुर शहर में स्थित उषा मंदिर को प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस मंदिर का निर्माण बाणासुर की पुत्री उषा की सबसे अच्छी सहेली चित्रलेखा ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण चित्रलेखा ने अपनी सहेली उषा के लिए करवाया था, जो भरतपुर के बयाना के भीतरवाड़ी में रहती थी। यह मंदिर शहर के भव्य और प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है। लोग इस मंदिर को प्रेम का प्रतीक मानते हैं। आपको बता दें कि उषा के पिता बाणासुर भगवान शिव के परम भक्त थे। महाभारत काल में बयाना को श्रोणतपुर के नाम से जाना जाता था।
ऐसा माना जाता है कि सम्राट बाणासुर की पुत्री उषा बेहद खूबसूरत थी। उषा को सपने में भगवान कृष्ण के पोते अनिरुद्ध से प्रेम हो गया था। कहा जाता है कि अनिरुद्ध द्वारका के राजकुमार हुआ करते थे और उनकी सुंदरता की तुलना कामदेव से की जाती थी। उषा ने राजकुमार अनिरुद्ध के बारे में बहुत कुछ सुना था लेकिन उसने न तो राजकुमार को देखा था और न ही कभी उनसे मिली थी।
चित्रलेखा राक्षस राजा बाणासुर के मंत्री उष्मांडा की पुत्री थी और उषा की सखी भी थी। उषा हमेशा सपने में देखे गए व्यक्ति के बारे में सोचती रहती थी। एक बार चित्रलेखा ने उससे पूछा कि वह किसके बारे में सोचती रहती है, इस पर उषा ने अपनी सखी चित्रलेखा को अपने मन की सारी बात बता दी। इसके बाद चित्रलेखा ने बलराम, श्रीकृष्ण और प्रद्युम्न के साथ अनिरुद्ध का चित्र बनाकर उषा को दिखाया। अनिरुद्ध को देखते ही उषा ने उसे पहचान लिया।
अपनी सखी की बात सुनकर चित्रलेखा ने अपनी योग शक्ति का प्रयोग किया और द्वारका में सो रहे अनिरुद्ध को उठा लाई। जब बाणासुर को इस बात का पता चला तो उसने अनिरुद्ध को मारने का आदेश दिया और उसे कैद कर लिया। भगवान कृष्ण और बाणासुर के बीच भयंकर युद्ध हुआ। लेकिन अंत में उषा और अनिरुद्ध का विवाह हो गया और दोनों भगवान श्रीकृष्ण के साथ द्वारका आ गए। उनकी प्रेम कहानी के प्रतीक के रूप में भरतपुर में यह मंदिर बनाया गया।