बच्चे जब कुछ बड़े हो जाते हैं और किशोरावस्था में पहुंच जाते हैं, तो अनुशासन के साथ पेरेन्ट्स को उनके साथ दोस्ताना रिश्ता बनाना चाहिए। यह हर लिहाज से बेहतर होता है।
लाइफस्टाइल डेस्क। बच्चे जब कुछ बड़े हो जाते हैं और किशोरावस्था में पहुंच जाते हैं, तो अनुशासन के साथ पेरेन्ट्स को उनके साथ दोस्ताना रिश्ता बनाना चाहिए। यह हर लिहाज से बेहतर होता है। किशोरावस्था में बच्चों में शारीरिक और मानसिक स्तर पर कई तरह के बदलाव होते हैं। उनके नजरिए में भी बदलाव आता है। उम्र बढ़ने के साथ उनका सामाजिक दायरा भी बदलता है। किशोरावस्था में न तो बचपन होता है, न ही पूरी तरह से मेच्योरिटी आती है। किशोरावस्था को जीवन का बहुत ही नाजुक मोड़ कहा गया है। ऐसे में, पेरेन्ट्स को अपनी खास भूमिका निभानी होती है। जानें कुछ टिप्स।
1. हर बात पर मत टोकें
जब बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें हर बात पर नहीं टोकना चाहिए। बड़े बच्चों में एक हद तक समझदारी विकसित हो जाती है। अगर आप बात-बात पर उन्हें टोकेंगे, तो हो सकता है कि वे कुछ कहें नहीं, लेकिन इससे वे आहत महसूस करते हैं। हर बात को लेकर पूछताछ करने से उन्हें लगता है कि उन पर भरोसा नहीं किया जा रहा है। इससे वे पेरेन्ट्स से दूरी बनाने लगते हैं।
2. बड़े बच्चों को दें स्पेस
जब बच्चे बड़े हो जाते हैं, तो उनके स्वभाव में बदलाव तो आता ही है, उनका समाजिक दायरा भी बदलता है। इसके साथ ही उनमें निजता की एक खास भावना भी विकसित होती है। ऐसे में, आप उनकी जिंदगी की हर बात में दखल देने की कोशिश नहीं करें। इस बात का जरूर ध्यान रखें कि आपका बच्चा किन लोगों से मिलता-जुलता है, उसके दोस्त कैसे हैं, लेकिन अगर आप किशोरावस्था में पहुंच गए अपने बच्चों की हर बात में दखल देंगे तो इसका असर नेगेटिव होगा।
3. दोस्त की तरह सलाह दें
बड़े हो चुके बच्चों को किसी बात के लिए डांटने-फटकारने का बहुत ही गलत असर पड़ता है। अगर आपको लगता है कि आपका बच्चा कुछ गलत कदम उठा रहा है, तो उसके साथ बैठ कर बातें करें और दोस्ताना तरीके से उसे समझाने की कोशिश करें। इसका सही असर पड़ेगा। यह जरूरी है कि बच्चे का आप पर भरोसा बना रहे और वह आपसे डरे नहीं।
4. बच्चे को समय दें
भले ही आप कितने भी व्यस्त क्यों नहीं रहते हों, अपने बड़े होते बच्चों के लिए नियमित तौर पर कुछ समय जरूर निकालें। इस दौरान आप उनसे बातचीत करें। बच्चों के साथ आप उनकी रुचि के किसी भी विषय पर बात कर सकते हैं। इस दौरान आप उनकी समस्याओं और परेशानियों के बारे में भी जानकारी हासिल कर सकते हैं। पेरेन्ट्स से बातचीत करने से बच्चों में सेल्फ कॉन्फिडेंस मजबूत होता है।
5. गुस्सा नहीं करें
किशोरावस्था में कई तरह के शारीरिक-मानसिक बदलाव होते हैं। कुछ हार्मोनल बदलावों की वजह से हो सकता है कि आपका बच्चा चिड़चिड़ा हो जाए या उसके बिहेवियर में कुछ ऐसी बात नजर आए, जो आपको अच्छी नहीं लगे। लेकिन ऐसी स्थिति में बच्चों पर कभी गुस्सा नहीं करें। उनकी मानसिक स्थिति को समझने की कोशिश करें और उन्हें इमोशनल सपोर्ट दें। इससे बच्चों में पॉजिटिविटी बढ़ेगी और वे आपके साथ ही खुद पर भी भरोसा करना सीखेंगे।