
पेरेंट्स और टीचर्स का सामूहिक सहयोग बच्चों की सही शिक्षा और विकास के लिए बहुत जरूरी है। अगर पैरेंट्स और टीचर्स आपस में मिलकर काम करें, तो बच्चा बेहतर तरीके से विकसित हो सकता है। लेकिन कुछ बातें हैं जो पैरेंट्स को PTM में भूलकर भी नहीं बोलनी चाहिए, क्योंकि ये न केवल शिक्षक से गलत संबंध बना सकती हैं, बल्कि बच्चों के विकास में भी रुकावट डाल सकती हैं।
बच्चों की क्षमताएं और विकास दर अलग-अलग होती हैं। हर बच्चा अपनी स्पीड से सीखता है, और तुलना करने से बच्चा आत्मविश्वास खो सकता है। अपनी चिंता को शिक्षक के साथ साझा करें, लेकिन बच्चे की प्रगति के लिए तुलना करने से बचें। यह सकारात्मक तरीके से विकास को बढ़ावा देगा।
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अंक सिर्फ एक संख्या हैं, और यह बच्चे की ओवरआल ग्रोथ का प्रतिनिधित्व नहीं करते। माता-पिता को केवल ग्रेड्स और अंकों पर नहीं, बल्कि बच्चे की ओवरआल ग्रोथ पर ध्यान देना चाहिए। सही दृष्टिकोण यह है कि हम बच्चों की समग्र शिक्षा, लाइफ स्कील और चरित्र निर्माण पर ध्यान दें, न कि सिर्फ अंकों पर।
इस तरह का रवैया शिक्षक के फीडबैक को नकारात्मक रूप से देखता है। अगर बच्चा गलती करता है, तो उसे सुधारने के लिए शिक्षक और माता-पिता दोनों को मिलकर काम करना चाहिए। शिक्षक का फीडबैक सबसे महत्वपूर्ण होता है, और इसे खुले दिल से स्वीकार करना बच्चों के सुधार में सहायक होता है।
इस प्रकार का रवैया यह दिखाता है कि माता-पिता को बच्चे की शिक्षा में रुचि नहीं है। यह बच्चों के लिए एक नकारात्मक संदेश भेजता है। पेरेंट्स को यह दिखाना चाहिए कि वे बच्चे की शिक्षा और विकास में सक्रिय रूप से शामिल हैं और यह बच्चों के लिए प्रेरणादायक है।
शिक्षक का काम बच्चे की मदद करना है, लेकिन बच्चों की प्रगति और संघर्ष में माता-पिता का भी योगदान बहुत महत्वपूर्ण है। दोनों का सहयोग ही सही परिणाम दे सकता है। बच्चों के संघर्ष और प्रगति के लिए दोनों माता-पिता और शिक्षक जिम्मेदार होते हैं। अगर दोनों मिलकर काम करें, तो बच्चा बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकता है।
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पेरेंट्स को शिक्षक का सम्मान करना चाहिए और उनका समर्थन करना चाहिए, क्योंकि एक सकारात्मक और सहायक माहौल से ही बच्चा सही दिशा में विकसित होता है।