भारत के युवा डेटिंग के 'नर्सरी क्लास' में हैं, विदेशी महिला का अनुभव

एक ऑस्ट्रेलियाई महिला ने भारत में डेटिंग के अनुभव को साझा किया। उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए बताया कि भारत में डेटिंग ऑस्ट्रेलिया से कितना अलग है।

रिलेशनशिप डेस्क. अगर आप ये सोचते हैं कि डेट करने का तरीका एक जैसा होता है तो आप गलत हैं। भारत के युवा तो डेटिंग की नर्सरी क्लास में हैं लेकिन बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। ये हम नहीं बल्कि एक ऑस्ट्रेलियाई महिला कह रही हैं जो साल 2023 से भारत की यात्रा पर हैं और यहां के लड़कों के साथ डेट कर रही हैं। वो अपने अनुभव को अपने पॉडकास्ट में बता रही हैं। इन मोहतरमा का नाम ब्री स्टील हैं जो पॉडकास्ट प्रोड्यूसर हैं।

ब्री ने अपने एक वीडियो में कहा,'ऑस्ट्रेलिया में पुरुष आमतौर पर फ्लर्ट करना नहीं जानते। वे सिर्फ मजाक या ताने मारकर बात करते हैं, लेकिन भारत में हर कोई बहुत अच्छा और मीठा व्यवहार करता है। हालांकि, यहां चीजें बहुत जल्दी आगे बढ़ती हैं। एक पार्टी में, एक लड़के ने मुझसे फ्लर्ट करना शुरू किया और अचानक मेरा हाथ पकड़ लिया। ऑस्ट्रेलिया में ऐसा नहीं होता।'

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भारत के डेटिंग स्कूल में हैं अभी 

ऑस्ट्रेलियाई वूमन ने एक और वीडियो शेयर करके मुंबई के एक डेटिंग इवेंट में हिस्सा लेने के अनुभव के बारे में जिक्र किया। उन्होंने बताया कि यह इवेंट उन्हें "स्कूल डिस्को" जैसा लगा। शुरुआत में लगभग एक घंटे तक, लड़कियां सिर्फ लड़कियों से और लड़के सिर्फ लड़कों से बात कर रहे थे। ब्री का मानना है कि भारत में आज की युवा पीढ़ी पहली है, जो कैज़ुअल डेटिंग का अनुभव कर रही है। उन्होंने कहा कि भारत में लोग अपने डेटिंग व्यवहार को फिल्मों से प्रेरित करते हैं। इससे पहले तक यहां सिर्फ अरेंज मैरिज का चलन था।

 

 

विदेशों में स्कूल में सेक्स एजुकेशन 

ब्री ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया और बाकी पश्चिमी देशों में डेटिंग की संस्कृति कई पीढ़ियों से विकसित होती आई है।हमारी संस्कृति में डेटिंग की कहानियां पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती हैं। हमें स्कूलों में सेक्स एजुकेशन भी दी जाती है। लेकिन मुझे लगता है कि भारत में ऐसा नहीं होता, और लोग ज्यादातर फिल्मों में देखी गई चीजों के आधार पर डेटिंग करने की कोशिश कर रहे हैं।

 

 

संस्कृति में हो रहा बदलाव

ब्री स्टील की नजरों से देखें तो भारत के युवा अभी डेटिंग सीख रहे हैं। जो फिल्मों से ज्यादा प्रेरित हैं। वो अभी भी पश्चिमी देशों से काफी इस मामले में पीछे हैं। जहां पर लव की बातें बचपन से ही लोग सुनते हैं और समझते हैं। हम यहां पर कॉलेज या फिर ऑफिस आकर सीखते हैं। अरेंज मैरेज का चलन आज भी है। बहुत ही कम युवा हैं जो अपनी पसंद की शादी करते हैं।

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