'बेटी को कोकीन दे रहे'- दिया मिर्जा का खुलासा, हर पैरेंट को सुनना चाहिए

Published : May 05, 2025, 07:18 PM IST
Dia Mirza 16 Year Step daughter Samaira Story is Alarm for all Adult child Parents

सार

Mobile addiction in teenagers: दिया मिर्जा ने अपनी बेटी समायरा की लत के बारे में खुलकर बात की। उन्होंने बताया कि कैसे एक मां के लिए डरावना अनुभव रहा और कैसे वो इस लत से लड़ रही हैं।

Dia Mirza Parenting: जब कोई बच्चा आपकी जिंदगी में आता है, तो आप सिर्फ उसकी देखभाल नहीं करते बल्कि आप उसकी दुनिया बन जाते हैं। अभिनेत्री दिया मिर्जा की यह जर्नी सिर्फ उनके बेटे अव्यान की मां बनने तक सीमित नहीं रही, बल्कि उन्होंने अपने पति वैभव रेखी की पहली शादी से हुई बेटी समायरा के साथ भी एक खास रिश्ता बनाया है। 16 साल की समायरा के साथ दिया का रिश्ता एक बायलॉजिकल मां-बेटी का नहीं, बल्कि एक बेहद इमोशनल और जिम्मेदारी भरा है — जिसमें सिर्फ प्यार नहीं, बल्कि चुनौती भी है।

जब बेटी को लगी मोबाइल की लत

हाल ही में जनिस सेकेरा के शो The Healing Circle में दिया ने एक बहुत ही गहरी बात शेयर की। उन्होंने बताया कि समायरा हर दिन 8 घंटे मोबाइल पर बिता रही थी। एक मां के तौर पर ये उनके लिए सिर्फ चिंता की बात नहीं थी, बल्कि एक डरावना अनुभव भी रहा। दिया ने कहा, 'हम अब उस आदत को बदलने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह एक बहुत ही मुश्किल जर्नी रही है।' इस एक लाइन के पीछे वो संघर्ष छिपा है, जो हर माता-पिता आजकल झेल रहे हैं। जब बच्चों की उंगलियां स्क्रीन पर चलती हैं, तब दिल से रिश्ते धीरे-धीरे खामोश होने लगते हैं।

स्क्रीन की लत या एक धीमा जहर?

दिया मिर्जा ने एक बेहद सटीक तुलना की — उन्होंने कहा कि स्क्रीन एडिक्शन, खासकर बच्चों के लिए बना कंटेंट, डोपामीन’ की लत की तरह है। वाकई उनकी ये बात चुभती है लेकिन सच है। एक्ट्रेस का कहना है - ‘यह बच्चों को कोकीन देने जैसा है। आज कंटेंट के नाम पर बच्चों को सजाया-संवारा जा रहा है, उन्हें उकसाया जा रहा है, सिर्फ व्यूज और लाइक्स के लिए। ये सब खौफनाक है। उनकी चिंता सिर्फ समायरा के लिए नहीं, हर उस बच्चे के लिए है, जो घंटों तक फोन में खोया रहता है और असल दुनिया से कटता चला जाता है।’

हर मां-बात के लिए पेरेंटिंग एक जंग?

आज दिया और उनका पूरा परिवार मिलकर समायरा को इस डिजिटल चक्रव्यूह से बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं। प्यार से, धैर्य से, और कभी-कभी सख्ती से — वो फिर से रिश्तों को असली बनाना चाहते हैं। दिया का कहना है- ‘ये सफर आसान नहीं है, लेकिन जरूरी है।’

क्या हमें भी अब रुककर सोचने की जरूरत है?

दिया मिर्जा की कहानी सिर्फ एक सेलिब्रिटी की नहीं, हम सबकी है। शायद हम सबकी समायरा किसी न किसी रूप में घर में है जो स्क्रीन में तो है, पर असल में अकेली है।अब वक्त है कि हम स्क्रीन टाइम की जगह क्वालिटी फैमिली टाइम को अहमियत दें। बच्चों से सिर्फ पढ़ाई या डांट की बात नहीं, दिल से बात करें, ताकि वो दोबारा असली दुनिया से जुड़ें।

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