
Extreme Droughts Increase Sexual Violence: सूखे की मार खेत और पानी पर पड़ता है ऐसा सब जानते हैं। अनाज और पानी की ऐसी कमी होती है कि लोग बेवक्त दम तोड़ देते हैं। लेकिन ये जानकर आपको हैरानी होगी कि सूखा पड़ने पर यौन हिंसा भी बढ़ जाती है। हाल ही में एक स्टडी में पता चला है कि जब कहीं पर लंबे समय तक सूखा पड़ता है तो लड़कियों और महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा भी बढ़ जाती है।
ऑस्ट्रेलिया के कर्टिन विश्वविद्यालय (Curtin University) के कुछ वैज्ञानिकों ने इस स्टडी को किया। उन्होंने 14 देशों के 35,000 से ज्यादा लड़कियों और युवतियों (13 से 24 साल के बीच) से डेटा लिया, जिनमें दक्षिण अमेरिका, अफ्रीका के सब-सहारा क्षेत्र और दक्षिण पूर्व एशिया शामिल हैं। ये सर्वे 2013 से 2019 के बीच किया गया था। इस स्टडी में सामने आया कि जब इलाके में 8 महीने से लेकर 43 महीने (लगभग 3.5 साल) तक बहुत ही ज्यादा सूखा रहता है, तो वहां यौन हिंसा के केस भी बढ़ जाते हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में, जहां पानी दूर से लाना पड़ता है या परिवारों को कहीं और पलायन करना पड़ता है, वहां महिलाओं और लड़कियों की सुरक्षा ज्यादा खतरे में रहती है।
जब पानी नहीं होता, तो लड़कियों और महिलाओं को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लेना पड़ता है। ऐसे में उन्हें बाहर ज्यादा समय बिताना पड़ता है, जिससे उनके लिए खतरा बढ़ जाता है। लोग उन्हें अपने हवस का शिकार बना लेते हैं। इतना ही नहीं पानी और अनाज की किल्लत से परेशान घरवाले छोटी उम्र की लड़कियों की शादी कर देते हैं। ऐसा करके वो अपने खर्च को कम कर देते हैं। ये सब चीजें मिलकर यौन हिंसा के जोखिम को बढ़ाती हैं।
ये नया शोध इस बात को और मजबूत करता है कि जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय बदलाव प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से महिलाओं की सुरक्षा पर बुरा असर डालते हैं। इससे पहले भी अक्टूबर 2024 में एक स्टडी आई थी, जिसमें 156 देशों का डेटा देखा गया था। उसमें पाया गया था कि बाढ़, तूफान, और भूस्खलन जैसे प्राकृतिक आपदाओं के बाद दो साल तक घरेलू हिंसा में इजाफा होता है।
इस स्टडी ने ये भी बताया कि सिर्फ शादीशुदा महिलाएं ही खतरे में नहीं होतीं, बल्कि अकेली लड़कियां या जो लोग पार्टनर नहीं रखते, उनके लिए भी यौन हिंसा का खतरा बढ़ जाता है। खासकर वे महिलाएं जो पानी या संसाधनों के लिए लंबी दूरी तय करती हैं या मजबूरी में कहीं और शिफ्ट होती हैं।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सिर्फ सूखे के पर्यावरणीय असर को ही नहीं देखना चाहिए, बल्कि इससे पैदा होने वाली सामाजिक और हेल्थ से जुड़ी मुश्किलों को भी समझना जरूरी है। ऐसे में सरकारों और समाज को मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे जो महिलाओं की सुरक्षा करें, पानी और संसाधन आसानी से उपलब्ध कराएं और जल्दी शादी जैसे प्रथाओं को कम करने पर काम करें।