रिलेशनशिप डेस्क. आज के दौर में हर दूसरी मां की शिकायत होती है कि उनका बच्चा बहुत शरारती है। मना करने पर भी वो गलत चीजें करना बंद नहीं करता है। घर में तोड़फोडन और चीजों को बिखेर देना तो आम बात है। इतना ही नहीं वो गलत व्यवहार भी करने लगते हैं। इस तरह के सिचुएशन चुनौतीपूर्ण हो सकीत है। लेकिन हम कैसे रिएक्शन देते हैं, यह हमारे बच्चे के डेवलपमेंट में अहम भूमिका निभाता है। अनुशासन का मतलब सिर्फ बिहेवियर सुधारना नहीं। यह जवीन के सबक सिखाने के बारे में हैं। आइए बताते हैं मिसबिहेव करने वाले बच्चों को कैसे हैंडल कर सकते हैं।
जब कोई बच्चा गलत व्यवहार करता है, तो गुस्सा आना नेचुरल हैं। लेकिन ऐसे वक्त में भी आपको शांत रहना होगा। शांत रहकर आप उसके सामने एक पॉजिटिव एग्जांपल पेश करते हैं। शांत इनवर्मेंट में बच्चे अपने काम के रिजल्ट को समझ सकते हैं।
जब कोई बच्चा गलत व्यवहार करता है तो उसे शांति से समझाएं कि जो काम उसने किया है उसके लिए क्या सजा हो सकती है। हर गलत हरकत पर एक ही तरह की सजा उसे दें। अगर आप उसे बार-बार अलग तरह से सजा देती हैं तो वो अपने व्यवहार को रिपिट करेंगा।
सजा की तुलना में पॉजिटिव प्रेरणा अधिक प्रभावी हो सकती है। जब आपका बच्चा अच्छा व्यवहार करता है, तो उसकी सराहना करें और उसकी तारीफ करें। इससे बच्चे को अच्छा बिहेव करने की प्रेरणा मिलेगी।
कभी-कभी बच्चों का गलत व्यवहार बोरियत या ध्यान आकर्षित करने की इच्छा से होता है। ऐसे में, उनके ध्यान को किसी अन्य गतिविधि की ओर मोड़ना एक कारगर रणनीति हो सकती है। उदाहरण के लिए, अगर बच्चा खिलौना न मिलने पर जिद कर रहा है, तो उसे किसी दूसरी एक्टिविटी को लेकर ध्यान खिंचे।
बच्चों को एक ऐसा ढांचा चाहिए होता है जिसमें वे काम कर सकें। साफ नियम बनाना और फिर बच्चे को सिंपल भाषा में उसे समझाना बहुत जरूरी है। समय-समय पर उन्हें इन नियमों की याद दिलाते रहें।
कभी-कभी बच्चों का गलत व्यवहार उनकी भावनाओं को व्यक्त करने में असमर्थता का परिणाम हो सकता है। उनके नजरिए को समझने और उनकी समस्या की जड़ तक पहुंचने के लिए सहानुभूति दिखाएं। यह न केवल उनके व्यवहार को सुधारता है, बल्कि आपको भी उनके साथ एक मजबूत रिश्ता बनाने में मदद करता है।
बच्चे को सिर्फ ये नहीं बताए कि क्या करना नहीं चाहिए। इसके बजाय यह भी सिखाएं कि उन्हें क्या करना चाहिए। बच्चों को समस्या सुलझाने के कौशल सिखाने से वे खुद मुश्किल स्थितियों को संभालना सीखते हैं। यह उन्हें अधिक आत्मनिर्भर और समझदार बनाता है।
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