
बच्चा पैदा करना सिर्फ एक बायोलॉजिकल स्टेप नहीं, बल्कि एक इमोशनल, मेंटल और रिलेशनशिप टर्निंग पॉइंट होता है। इस फैसले से पहले यह जरूरी है कि आप और आपके पार्टनर एक ही पेज पर हों। वरना बेबी आने के बाद Emotional स्ट्रेस, मेंटल स्ट्रेस, या फिर रिलेशनशिप में दूरी आ सकती है। यहां हम बता रहे हैं वो 10 अहम बातें, जो हर कपल को बेबी प्लान करने से पहले आपस में डिस्कस कर लेनी चाहिए।
सबसे पहले खुद से और एक-दूसरे से यह पूछना जरूरी है कि क्या हम सच में बच्चा चाहते हैं या यह फैसला बाहरी दबाव (जैसे परिवार, उम्र, समाज) के चलते ले रहे हैं। बेबी तब ही प्लान करें जब दोनों की इमोशनल डिजायर क्लियर हो।
कभी-कभी एक पार्टनर बहुत एक्साइटेड होता है और दूसरा कंफ्यूज या डरा हुआ। यह अंतर भविष्य में असहमति या गिल्ट पैदा कर सकता है। इसलिए यह बात साफ कर लें कि क्या दोनों मानसिक रूप से तैयार हैं।
बच्चे के आने के बाद नींद की कमी, थकान और इमोशनल उतार-चढ़ाव आम बात है। सोचें कि आप दोनों टेंशन, नींद की कमी, और लाइफस्टाइल बदलावों को कैसे हैंडल करते हैं—अकेले और साथ में।
क्या आप स्ट्रिक्ट होंगे या जेंटल पैरेंटिंग को मानते हैं? यह समझना जरूरी है कि आप दोनों की पेरेंटिंग फिलॉसफी कितनी मिलती है, ताकि बाद में डिसिप्लिन, पढ़ाई या व्यवहार को लेकर झगड़े न हों।
बच्चा आने के बाद फोकस उस पर चला जाता है। क्या आप दोनों इसके लिए तैयार हैं? और क्या आप इस दौरान भी रिलेशनशिप को समय देना नहीं भूलेंगे?
नींद, ट्रैवल, पार्टी, मी टाइम—सब कुछ बदल जाएगा। क्या आप उन चीज़ों को अस्थायी रूप से छोड़ने के लिए तैयार हैं?
अगर एक पार्टनर मॉडर्न वैल्यूज चाहता है और दूसरा पारंपरिक, तो टकराव हो सकता है। पहले से तय करें कि बच्चे की परवरिश का बेस कैसा होगा।
क्या सास-ससुर या माता-पिता बच्चे की परवरिश में साथ रहेंगे? अगर हां, तो कितना? यह तय करें कि फैमिली हेल्पफुल होगी या इंटरफेयर करने वाली।
क्या आपके पास कोई प्लान है कि आप अपने शौक, करियर या मानसिक सेहत को कैसे बैलेंस करेंगे? अगर नहीं, तो सोचिए क्योंकि खुद की केयर करना उतना ही जरूरी है।
डिसिप्लिन, पढ़ाई, स्क्रीन टाइम, धार्मिक शिक्षा—इनमें क्या ऐसी बातें हैं जिन पर आप किसी भी कीमत पर समझौता नहीं करेंगे? इन्हें एक-दूसरे से पहले ही शेयर कर राय लें।