LOVE का मतलब क्या है? जगदगुरु राम भद्राचार्य ने बताया

Published : Oct 29, 2025, 06:19 PM IST
Love Definition

सार

Love Definition: लव का मतलब क्या है, अब तक कई लोगों ने इसका अर्थ बताया होगा। लेकिन जगद्गुरु रामानंदाचार्य स्वामी ने इसे आंसुओं की झील, दुखों का सागर, मृत्यु की घाटी और जीवन का अंत बताया है। इसके साथ ही उन्होंने प्रेम को ईश्वर से जुड़ाव भी माना।

Jagadguru Ramabhadrachary On Love: सच्चा प्यार यानी लव क्या है? ये सवाल हर किसी के जहन में अक्सर आता है। जो प्यार करता है, उसे भी इसका सही अर्थ पता नहीं होता है। कुछ लोग प्यार को समर्पण बताते हैं, तो कोई आंसुओं का सागर कहता है। लेकिन जगद्गुरु रामभद्राचार्य जी ने प्यार का जो मतलब समझाया है, वो वाकई दिव्य है। उन्होंने कहा कि प्यार सिर्फ भावनाओं का लेन-देन नहीं, बल्कि समर्पण, समझदारी और साझा जीवन की एक गहरी यात्रा है।

ईश्वर से जुड़ाव को दिखाता है प्रेम

परम पूज्य जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज के मुताबिक, Love का अर्थ केवल प्रेम तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह परम प्रेम ईश्वर से जुड़ाव और सेवा को भी दिखाता है। सच्चा प्रेम निस्वार्थ सेवा और भक्ति से उत्पन्न होता है, जो दूसरों के प्रति करुणा और दया का भाव जगाता है।

अंग्रेजी के LOVE का मतलब

जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी प्रवचन के दौरान कहते हैं कि अंग्रेजी के LOVE के मायने अलग हैं। इस दौरान उन्होंने LOVE के चारों अक्षर L,O,V और E का अलग-अलग अर्थ बताया। जो कुछ इस तरह है-

  • जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी कहते हैं कि LOVE का पहला अक्षर है ‘L’। इसका मतलब है Lake of Tears यानी ये आंसुओं की झील है।
  • दूसरा अक्षर ‘O’ है। इसका मतलब है कि Ocean of sorrows यानी ये दुखों का सागर है।
  • तीसरा अक्षर ‘V’ है। इसका मतलब Velly of death यानी ये मृत्यु की घाटी है।
  • चौथा अक्षर ‘E’ होता है। इसका मतलब है End of life यानी यही जीवन का अंत है।

मतलब Love के चार अक्षर का मतलब आंसुओं की झील, दुखों का सागर, मृत्यु की घाटी और जीवन का अंत है। वाकई इन चार अक्षर में पूरे जीवन का सार छुपा है।

और पढ़ें: पति जब भक्ति मार्ग पर नहीं चलता, तो क्या करना चाहिए? प्रेमानंद जी ने बताए आसान उपाय

कौन हैं जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज

जगद्गुरु श्री रामभद्राचार्य जी महाराज भारत के प्रसिद्ध हिंदू संत, धर्मगुरु, शिक्षाविद्, कवि और लेखक हैं। वे तुलसी पीठाधीश्वर (चित्रकूट, उत्तर प्रदेश) हैं और जगद्गुरु रामानंदाचार्य संप्रदाय के वर्तमान आचार्य हैं। वो 22 भाषाओं में परंगात हैं। जब वो 2 महीने के थे तभी उनके आंखों की रोशनी चली गई थी। बावजूद उन्होंने ये सब हासिल किया। वो रामकथाओं और प्रवचनों के जरिए लोगों को भक्ति और ज्ञान के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। इन्हें पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया है। रामचरितमानस, वेद, पुराण, गीता सहित अनेक धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या की है।

इसे भी पढ़ें: पत्नी के साथ महीने में कितनी बार संबंध बनाना चाहिए? प्रेमानंद जी ने बताया गूढ़ रहस्य

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

क्रिसमस पर GF के घर जाना चाहता है BF, पर लड़की देगी 100 वॉट का झटका!
वो अच्छी है-प्यार भी गहरा है..फिर भी दिल में क्यों उठ रहा है ब्रेकअप का डर? एक लड़के की उलझन भरी कहानी