स्टडी में किया दावा: 10 में 7 पत्नियां अपने पतियों को दे रही हैं धोखा, कारण जानकर चौंक जाएंगे आप

हाल ही में किए गए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि 10 में से 7 भारतीय पत्नियां अपने पतियों को धोखा दे रही हैं। हालांकि इसका कारण बहुत अजीब है।
 

Manoj Kumar | Published : Jul 3, 2022 2:24 PM IST / Updated: Jul 03 2022, 09:10 PM IST

नई दिल्ली. विवाहेत्तर संबंधों को लेकर लांच की गई एक डेटिंग एप ग्लीडेन ने हाल ही में एक सनसनीखेज दावा किया है। डेटिंग एप का अध्ययन कहता है कि 10 में से 7 भारतीय पत्नियां अपने पतियों को धोखा दे रही हैं। डेटिंग एप ने महिलाएं व्यभिचार क्यों करती हैं, नाम से एक सर्वेक्षण किया है। जिसमें इस बात विश्लेषण किया गया है कि भारत की विवाहित महिलाएं अपने पतियों को धोखा क्यों दे रही हैं। इस रिसर्च में बेहद चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं जिसमें यह पाया गया है कि जो पति घर के कार्यों में पत्नियों का साथ नहीं देते हैं, वे धोखाधड़ी का शिकार बनते हैं।

इस डेटिंग एप के भारत में 5 लाख से ज्यादा कस्टमर हैं जबकि पूरी दुनिया में इसके पांच मिलियन से ज्यादा उपयोग करने वाले हैं। रिसर्च में यह भी खुलासा हुआ है कि महिलाएं तभी विवाहेत्तर संबंध बनाती हैं, जब उनकी पर्सनल लाइफ नीरस हो जाती है या उन्हें घर पर बोरियत महसूस होने लगती है। दिलचस्प बात यह है कि इस शोध से पता चला है कि मुंबई, दिल्ली और कोलकाता जैसे महानगरीय शहरों में सबसे अधिक महिलाएं हैं, जो अपने पतियों को धोखा देती हैं। महिलाओं ने खुलासा कि वे पतियों की डेली रूटीन से उब चुकी हैं, इसकी वजह से बाहर अफेयर करती हैं। 

दरअसल, यह विवाहेतर डेटिंग ऐप 2017 में भारत में आया और बहुत ही जल्द काफी सारे उपयोगकर्ताओं को आकर्षित किया। ऐप का दावा है कि इसके 30 प्रतिशत उपयोगकर्ता 34-49 वर्ष के आयु वर्ग की विवाहित महिलाएं हैं, जो नए साथी की तलाश करने डेटिंग ऐप पर समय बिताती हैं। रिसर्च में पाया गया कि लगभग 77 प्रतिशत विवाहित महिलाओं ने स्वीकार किया कि उन्होंने अपने साथी को धोखा दिया क्योंकि उनकी शादी नीरस हो गई थी। साथ ही विवाहेतर संबंध होने से उन्हें अपने जीवन में आनंद पाने में मदद मिली।

इस डेटिंगव ऐप के 5 लाख यूजर्स में से 20 फीसदी पुरुषों और 13 फीसदी महिलाओं ने स्वीकार किया कि वे अपने पार्टनर को धोखा दे रहे हैं। साथ ही लगभग 48 प्रतिशत भारतीय महिलाएं जिन्होंने विवाहेतर संबंध बनाने का फैसला किया। उन्होंने डेटिंग ऐप पर किसी नए व्यक्ति से मिलना पसंद किया क्योंकि यह प्लेटफॉर्म सुरक्षा और गोपनीयता प्रदान करता है। शोध में समलैंगिक लोगों की बढ़ती संख्या के बारे में भी बात की गई है। जिन्हें पारंपरिक विवाह के लिए मजबूर किया गया लेकिन अब वे ऐप पर अपने समान सेक्स पार्टनर ढूंढ रहे हैं।

दावे कितने सच्चे कितने सही
डेटिंग एप के सर्वेक्षण ने भले ही कुछ आंकड़े दिए हैं लेकिन ये निष्कर्ष पूरे भारतीय समाज का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं। इस अध्ययन का आकार सिर्फ 5 लाख है और यह भारत की आबादी के केवल एक अंश का ही प्रतिनिधित्व करता है। इसलिए यह दावा पूरी तरह से सही नहीं माना जा सकता। हां कुछ उपयोगकर्ताओं पर आधारित होने की वजह से यह ट्रेंड की ओर इशारा जरूर करता है।

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