कोरोना महामारी के दौरान बढ़ रहा है डिप्रेशन का खतरा, बचाव के लिए अपनाएं ये 5 तरीके

कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से काफी लोग तरह-तरह की चिंता और तनाव के शिकार हो रहे हैं। जब तनाव बढ़ जाता है तो यह डिप्रेशन का रूप ले लेता है। 

Asianet News Hindi | Published : Jun 14, 2020 12:49 PM IST

लाइफस्टाइल डेस्क। कोरोना महामारी और लॉकडाउन की वजह से काफी लोग तरह-तरह की चिंता और तनाव के शिकार हो रहे हैं। जब तनाव बढ़ जाता है तो यह डिप्रेशन का रूप ले लेता है। अगर डिप्रेशन के लक्षणों को समय रहते नहीं समझा गया और और उन्हें दूर करने के उपाय नहीं किए गए तो यह एक गंभीर मानसिक बीमारी के रूप में सामने आ सकता है। साइकोलॉजिस्ट्स का कहना है कि आजकल डिप्रेशन की समस्या तेजी से बढ़ रही है और उम्र के लोग कमोबेश इसके शिकार हो रहे हैं। कोरोना संकट में ऐसे भी लोग कई समस्याओं को लेकर ज्यादा चिंता में रहने लगे हैं। इससे डिप्रेशन होने की संभावना ज्यादा बढ़ गई है। डिप्रेशन यानी अवसाद का शिकार होने पर कोई भी व्यक्ति अलग-थलग रहना चाहता है। वह ज्यादातर चुप रहता है और लोगों से मिलने-जुलने से कतराता है। ऐसे लोगों की भूख और नींद भी कम हो जाती है। जिन लोगों को डिप्रेशन की समस्या होती है, उनका आत्मविश्वास बेहद कम हो जाता है। जानें, किस तरह इस समस्या से पीड़ित लोगों से पेश आना चाहिए।

1. अकेला नहीं छोड़ें
अगर आपकी फैमिली का कोई मेंबर डिप्रेशन की समस्या से जूझ रहा हो तो उसे हर्गिज अकेला नहीं छोड़ें। अगर वह किसी के पास नहीं रहना नहीं चाहता तो दूर से ही उस पर नजर बनाए रखें। डिप्रेशन से पीड़ित लोगों को अपने भले-बुरे का ज्ञान नहीं रहता। वे खुद को कोई नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसलिए उनकी निगरानी जरूरी है।

2. गुस्सा न करें
जो लोग डिप्रेशन की समस्या के शिकार होते हैं, उनके व्यवहार में कई तरह के बदलाव आ जाते हैं। कई बार उनकी बातों या गतिविधियों से आपको चिढ़ पैदा होगी, लेकिन ऐसे समय में धैर्य से काम लें। डिप्रेशन के मरीजों पर गुस्सा करने से कोई फायदा नहीं होगा, बल्कि इससे मरीज की समस्या बढ़ सकती है। 

3. कैसा है डिप्रेशन, यह जानें
डिप्रेशन भी कई तरह का होता है। डिप्रेशन की कुछ समस्या ऐसी होती है, जो समय के साथ खत्म हो जाती है। जैसे ही हालात अच्छे होते हैं और समस्याएं खत्म होने लगती हैं, डिप्रेशन के पीड़ित लोगों की हालत में भी बदलाव होने लगता है। दरअसल, यह प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण पैदा होने वाला अवसाद होता है। लेकिन कुछ डिप्रेशन ऐसे होते हैं, जो दिमाग में गहराई से जड़ जमा लेते हैं। ये अपने आप ठीक नहीं होते। इसके लिए मनोचिकित्सक की मदद लेना जरूरी हो जाता है।

4. डिप्रेशन के मरीज से सहानुभूति रखें
अगर आपके घर में या पास-पड़ोस में कोई व्यक्ति डिप्रेशन का शिकार है तो उसके साथ सहानुभूति के साथ पेश आएं। अगर उसकी कुछ बातें आपको पंसद नहीं आती हों तो उन्हें इग्नोर करें। डिप्रेशन से पीड़ित लोगों के साथ पॉजिटिव बातें करनी चाहिए, ताकि उसका मनोबल और सेल्फ कॉन्फिडेंस बढ़े। कई बार ऐसी बातें दवा से ज्यादा कागरगर होती हैं।

5. रात में अकेले मत सोने दें
अगर आपके घर में कोई डिप्रेशन की समस्या से जूझ रह हो तो दिन में तो उसके साथ रहें ही, रात में कमरा बंद करके उसे अकेले मत सोने दें। अक्सर डिप्रेशन के शिकार लोगों को ठीक से नींद नहीं आती है। वे पूरी नींद ले सकें, इसके लिए कई बार डॉक्टर उन्हें दवाइयां देते हैं। लेकिन रात में अकेले कमरा बंद कर के उन्हें इसलिए नहीं सोने देना चाहिए, क्योंकि डिप्रेशन के गंभीर मरीजों में आत्महत्या करने की प्रवृत्ति पाई जाती है। यह खतरा आजकल ज्यादा बढ़ रहा है। इसलिए सावधानी बरतना जरूरी है। 

 

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