लॉकडाउन में बच्चों के लड़ाई-झगड़े से हैं परेशान, तो आजमाएं ये 5 तरीके

लंबे समय से लॉकडाउन के चलते बच्चे घरों में ही रहने को मजबूर हो गए हैं। जिस घर में दो बच्चे भी हों तो कभी न कभी उनके बीच लड़ाई-झगड़े होते ही हैं। फिलहाल, बच्चे पार्क में भी घूमने नहीं जा सकते। इसलिए उनमें खीज पैदा होना स्वाभाविक है। कुछ खास तरीके आजमा कर बच्चों को लड़ने-झगड़ने से रोका जा सकता है।

लाइफस्टाइल डेस्क। लंबे समय से लॉकडाउन के चलते बच्चे घरों में ही रहने को मजबूर हो गए हैं। बच्चों के स्कूल तो तभी बंद हो गए थे, जब कोरोना वायरस ने पांव पसारना शुरू किया था। कई स्कूलों में तो बच्चों की परीक्षाएं भी नहीं हुईं। वैसे भी जिस घर में दो बच्चे भी हों तो कभी न कभी उनके बीच लड़ाई-झगड़े होते ही हैं। फिलहाल, बच्चे पार्क में भी घूमने नहीं जा सकते। इससे उनमें खीज पैदा होना स्वाभाविक है। बच्चे जब लड़ाई करते हैं तो बड़े लोग परेशान हो जाते हैं। कई तो गुस्से में उनके साथ मारपीट भी करने लगते हैं। इसका अच्छा असर नहीं होता। कुछ खास तरीके आजमा कर बच्चों को लड़ने-झगड़ने से रोका जा सकता है। 

1. प्यार से समझाएं
बच्चे जब आपसे में लड़ते हों तो पहले उसकी वजह जानने की कोशिश करें। बच्चों की लड़ाई के पीछे कभी कोई बड़ी वजह नहीं होती। कई बार तो लड़ाई का कारण जानकर आपको हंसी आ जाएगी। जब बच्चे लड़ाई करें तो गुस्सा करने की जगह उन्हें प्यार से समझाएं। बच्चे जितनी जल्दी लड़ते हैं, उतनी जल्दी ही दोस्ती कर लेते हैं। लेकिन अगर आप उनके साथ सख्ती से पेश आएंगे तो आपका भी मूड खराब होगा और बच्चों पर तो बुरा असर पड़ेगा ही।

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2. बच्चों को स्पेस दें
हर समय बच्चों के पीछे पड़े रहना ठीक नहीं होता। उन्हें भी अपने भले-बुरे की समझ होती है। इसलिए बच्चों को स्पेस दें। अगर वे आपस में किसी बात को लेकर बहस कर रहे हैं तो जरूरी नहीं कि आप उनके बीच दखल दें ही। जब तक वे मारपीट पर ऊतारू नहीं होते हैं, उन्हें अपने विवाद का निपटारा खुद करने दें।

3. बच्चों की पूरी बात सुनें
कई बार पेरेंट्स बच्चों की पूरी बात समझे बिना ही उनके मामले में दखल देने लगते हैं। अगर दो बच्चे आपस में विवाद कर रहे हों, तो उन दोनों की बातें सुनना और समझना जरूरी है। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो किसी न किसी का पक्ष लेंगे। इससे दूसरे बच्चे का भरोसा आप पर कम होगा। बच्चों की पूरी बात सुनने के बाद आप उन्हें सलाह दें। अगर उन्होंने गलती की है तो उन्हें इसका एहसास कैसे हो, इसके बारे में सोचें। बच्चों को जब तक अपनी गलती का एहसास नहीं होगा, तब तक वे खुद में सुधार नहीं ला सकते।

4. अनुशासन में रहना सिखाएं
बच्चों को कभी भी पूरी तरह उनकी मन-मर्जी करने की छूट नहीं देनी चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि अनुशासन का पालन करें। बच्चों को अनुशासन के नियमों का पता होना चाहिए। उन्हें कब सोना है, कब जागना है, कब पढ़ाई करनी है, किसके साथ कैसा व्यवहार करना है, ये सारी बातें अनुशासन के तहत आ जाती हैं। इसके लिए पेरेंट्स को भी खुद पर कंट्रोल रखना पड़ता है।

5. गुस्से से बचना सिखाएं
छोटे बच्चों को गुस्सा करने से बचना सिखाएं। अगर बच्चे ज्यादा गुस्सा करते हों और खीजते हों तो यह उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं होगा। इसलिए बच्चों के सामने ऐसी स्थिति नहीं बनने दें कि वे गुस्सा करें। इसके लिए आपको भी गुस्सा करने से बचना होगा। बच्चे बड़ों को देख कर ही सीखते हैं। अगर आप गुस्सैल स्वभाव के हैं तो बच्चे भी गुस्सैल होंगे। इसलिए खुद भी शांत रहें और बच्चों को भी शांत रखने की कोशिश करें।   

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