नफरत की आंधी से अल्पसंख्यक ही नहीं, संविधान को भी चोट पहुंचाई जा रही, 108 पूर्व अफसरों का मोदी काे पत्र

देश में बन रहे नफरत भरे माहौल के बीच 100 से ज्यादा पूर्व अफसरों ने प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा है। उन्होंने ऐसी घटनाओं पर प्रधानमंत्री मोदी की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए इसे संविधान के लिए खतरा बताया है। इन रिटायर्ड अफसरों में दिल्ली के पूर्व एलजी और पूर्व एनएसए स्तर के अफसर हैं।

नई दिल्ली। देश में पिछले दिनों हुई हिंसा और दंगों की घटना के बाद पूर्व नौकरशाहों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक खुला खत लिखा है। 108 पूर्व नौकरशाहों ने इस चिट्‌ठी में देश में पनप रही नफरत की राजनीति और कट्टरता पर चिंता जताई है। इन रिटायर्ड अफसरों ने ऐसी घटनाओं पर पीएम मोदी को उनकी चुप्पी के लिए घेरा है और नफरत की राजनीति को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की है।  
 
भाजपा पर लगाया नफरत की राजनीति का आरोप 
पीएम मोदी के लिए गए पत्र में पूर्व अफसरों ने भाजपा (BJP) पर निशाना साधा है। इन्होंने कहा कि भाजपा की सरकारों के दौरान नफरत की राजनीति ज्यादा हो रही है। 'आजादी का अमृत महोत्सव' के इस वर्ष में प्रधानमंत्री को किसी भी तरह के पक्षपातपूर्ण विचार से ऊपर उठकर नफरत भरी राजनीति रोकनी चाहिए। 

सबका साथ सबका विकास का मंत्र याद दिलाया
पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में इन रिटायर्ड अफसरों ने पीएम मोदी को उनका नारा 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' याद दिलाया है। पत्र में लिखा गया है- हम देश में नफरत से भरा विनाश का उन्माद देख रहे हैं, जहां बलि की बेदी पर न सिर्फ मुस्लिम, बल्कि अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के सदस्य तो हैं ही, संविधान भी है।

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इन अफसरों ने लिखा खत 
पीएम मोदी को खत लिखने वाले पूर्व अफसरों में दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल (LG) नजीब जंग, देश के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव सुजाता सिंह, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के प्रधान सचिव टीकेएस नायर जैसे नाम शामिल हैं।

पीएम की चुप्पी बड़ा खतरा 
इस पत्र के माध्यम से पूर्व नौकरशाहों ने कहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस तरह की घटनाओं पर चुप्पी आने वाले समय के लिए बड़ा खतरा बन सकती है। हम देश में नफरत की राजनीति की एक आंधी देख रहे हैं, जिससे न सिर्फ अल्पसंख्यक समुदाय बल्कि संविधान को भी चोट पहुंचाई जा रही है।

जहांगीरपुरी और खरगोन में दंगों के बाद दहशत
मध्यप्रदेश के खरगोन में 10 अप्रैल को रामनवमी के दिन शोभायात्रा पर पथराव हुआ था। इसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ कार्रवाई करते हुए दंगाइयों के अवैध मकानों पर बुलडोजर चला दिए थे। इसके बाद मौलवियों ने एमपी के डीजीपी और  प्रमुख सचिव से अल्पसंख्यकों को बिना जांच के निशाना बनाने के आरोप लगाए थे। इसके बाद 16 अप्रैल को हनुमान जयंती पर दिल्ली के जहांगीरपुरी में शोभायात्रा पर पथराव हुआ। दंगों के बाद यहां भी बुलडोजर वाली कार्रवाई हुई। हालांकि, कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी, लेकिन इस कार्रवाई के बाद से एक धड़ा सरकार का विराेध कर रहा है। 

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