
नई दिल्ली. सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सड़क हादसे रूकने का नाम नहीं ले रहे हैं। जिसका नतीजा है कि आए दिन लोग जान गंवा रहे हैं। इसी क्रम में छत्तीसगढ़ और कर्नाटक में हुए अलग-अलग हादसों में 18 लोगों की जान चली गई है। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में हुए दुर्घटना में 5 लोगों की मौत हुई है। जबकि कर्नाटक के तुमकुर में दो कार आपस में टकरा गई जिसमें 13 लोगों की दर्दनाक मौत हुई है।
डिवाइटर से टकराई कार में आ घुसी एक और कार
कर्नाटक के तुमकुर में हुए इस दर्दनाक हादसे में पुलिस ने बताया कि मृतकों में पांच महिलाएं और दो बच्चे शामिल हैं। तुमकुर एसपी केवी. कृष्णा ने बताया, '13 लोगों की मौत हो गई। दुर्घटना मध्यरात्रि के बाद हुई। एक कार सड़क के डिवाइडर से टकरा गई और दूसरी कार उससे टकरा गई।' पुलिस को क्षतिग्रस्त वाहनों से शव निकालने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
मरने वाले सभी तीर्थयात्री
कर्नाटक के तुमकुर हादसे में मारे गए लोगों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं। पुलिस ने बताया कि 13 में से 12 लोगों की घटनास्थल पर ही मौत हो गई जबकि एक बच्चे की मौत अस्पताल में हुई। मृतकों में 10 लोग तमिलनाडु और तीन बेंगलुरु के थे। सभी तीर्थयात्री थे जो कि कर्नाटक स्थित एक धर्मस्थल जा रहे थे
छत्तीसगढ़ में 5 लोगों की मौत
उधर, छत्तीसगढ़ में बरसूर पुलिस थाना क्षेत्र के अंतर्गत नागफनी के नजदीक शुक्रवार को सड़क हादसे में पांच लोगों की मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, कार सवार पांच लोग गुरुवार रात गीदम की ओर से बारसूर की तरफ जा रहे थे। इसी दौरान गणेश बाहर नाला के पास कार पेड़ से टकराने के बाद कार पलट गई।
रात को बारिश और धुंध के कारण हादसे का किसी को पता ही नहीं चल सका। अगले दिन सुबह जब धुंध छंटी और ग्रामीण बाहर निकले तो उन्होंने सूचना दी। इसके बाद सीआरपीएफ 195 बटालियन के जवान मौके पर पहुंचे और शवों को बाहर निकाला गया। कार की हालत देख कर अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसकी रफ्तार काफी तेज रही होगी।
इंजीनियर और CAAF जवान की मौत
सड़क हादसे में हुई पांच लोगों की मौत में पीएचई विभाग में सब इंजीनियर सुरेंद्र ठाकुर, क्लर्क रामधर पांडे व अनिल परसुल, सीएएफ 21वीं वाहिनी आरक्षक सुखलाल पांडे और राजेश शामिल हैं। कार सवारों की पहचान उनके पास मिले आधार कार्ड से हुई है। सभी बीजापुर के रहने वाले थे। जगदलपुर से विभागीय कार्य करने के पश्चात रात करीब 1 बजे सभी बीजापुर के लिए निकले थे। आरक्षक छुट्टी में घर जाने वाला था, इसलिए उसके भाई रामधर ने साथ चलने को कहा था। जगदलपुर से वापसी के दौरान सुखलाल पांडे ने बारसूर निवासी अपने जीजा जगेंद्र कुमार नेगी को बुलाया था।