कोरोना महामारी के बीच असम के गुवाहाटी और कामरूप जिलों में 14 दिन का लॉकडाउन लगाया जाएगा। यह 28 जून की आधी रात से लागू होगा। वहीं पश्चिम बंगाल में भी 31 जुलाई तक लॉकडाउन की घोषणा की गई है। हालांकि इस दौरान सरकार ने कई तरह की छूट देने की बात कही है।
नई दिल्ली. कोरोना महामारी के बीच असम के गुवाहाटी और कामरूप जिलों में 14 दिन का लॉकडाउन लगाया जाएगा। यह 28 जून की आधी रात से लागू होगा। वहीं पश्चिम बंगाल में भी 31 जुलाई तक लॉकडाउन की घोषणा की गई है। हालांकि इस दौरान सरकार ने कई तरह की छूट देने की बात कही है। कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने गुरुवार (25 जून 2020) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि बेंगलुरु में कोरोना के मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसके मद्देनजर बेंगलुरु के कुछ इलाकों को सील कर दिया गया है। डायरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय उड़ानें 15 जुलाई तक बंद रहेंगी। लॉकडाउन के दौरान 23 मार्च को उड़ानों पर रोक लगाई थी। देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या 4 लाख 91 हजार 861 हो गई। देश में पिछले पांच दिनों में 80 हजार मरीज बढ़े।
दिल्ली में 45000 लोग ठीक हुए
अरविंद केजरीवाल ने कहा, दिल्ली में कोरोना के अधिक केस हैं, लेकिन स्थिति नियंत्रण में है और चिंता करने की कोई बात नहीं है। हमने परीक्षण तीन गुना बढ़ा दिया है। कुल COVID19 मरीजो में से लगभग 45,000 लोग ठीक हो चुके हैं।
"दिल्ली में रोज 3000 नए मरीज आ रहे हैं"
केजरीवाल ने कहा, पिछले एक हफ्ते में कुल बेड की संख्या 6000 (जो बेड मरीज़ो से भरे हुए हैं) है हालांकि रोज 3000 नए मरीज आ रहे हैं लेकिन इन नए मरीजों को अस्पताल की बेड की ज्यादा जरूरत नहीं पड़ रही है। दिल्ली में जितने लोगों को कोरोना हो रहा है वो माइल्ड कोरोना हो रहा है।
"दिल्ली में 7500 बेड खाली"
केजरीवाल ने कहा, अभी दिल्ली के अस्पतालों में हमारे पास 13,500 बेड तैयार हैं इसमें से 7500 बेड खाली है और केवल 6000 बेड पर मरीज हैं। हमें LNJP और राजीव गांधी सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों में प्लाज्मा थेरेपी करने की अनुमति मिली है। LNJP अस्पताल में प्लाज्मा थेरेपी की शुरुआत के बाद से पहले की तुलना में मौतों की संख्या आधे से भी कम हो गई है।
"अचानक कम हो जाता है मरीजों का ऑक्सीजन लेवल"
"कोरोना में सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब मरीज का ऑक्सीजन लेवल अचानक कम हो जाता है। ऑक्सीजन का लेवल 95 होना चाहिए। अगर यह 90 से कम हो जाए, तो इसे खतरा मानें, यदि यह 85 से नीचे हो जाए तो इसे बहुत गंभीर माना जाता है। अगर यह 90 या 85 हो जाए तो आपको सांस लेने में कठिनाई होती है।