Local for Global: बिहार के खेत से निकल अमेरिका-यूरोप में प्लेट तक पहुंचा मखाना

Published : Aug 11, 2025, 12:23 PM ISTUpdated : Aug 11, 2025, 02:03 PM IST
Makhana Bihar

सार

बिहार के मखाना को आज अमेरिका और यूरोप के लोग सुपर फूड के रूप में खा रहे हैं। मखाना मैन ऑफ इंडिया के नाम से प्रसिद्ध सत्यजीत कुमार सिंह ने न सिर्फ मखाना की खेती में क्रांति लाई है, बल्कि किसानों को भी लाभ पहुंचाया है।

15 August 2025: 15 अगस्त 2025 को हम अपना 79वां स्वतंत्रता दिवस मनाने वाले हैं। गुलामी ने भारत को दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक बना दिया था। आजादी के बाद हमने हर क्षेत्र में प्रगति की और आज दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था हैं। एक वक्त था जब हमारे देश को अपने लोगों का पेट भरने के लिए मक्का आयात करना पड़ता था। आज भारत दुनिया में खाद्यान्न और दूसरे फूड प्रोडक्ट सप्लाई कर रहा है।

भारत के मखाना जैसे फूड प्रोडक्ट की दुनिया भर में मांग है। इसे सुपर फूड माना जा रहा है। बिहार के खेत में उगने वाला मखाना आज अमेरिका-यूरोप के लोगों की थाली में पहुंच रहा है। मखाना निर्यातक सत्यजीत कुमार सिंह के अनुसार भारत से हर साल करीब 2 हजार टन मखाना निर्यात किया जाता है। यह मुख्य रूप से बिहार में उगाया जाता है।

कौन हैं सत्यजीत कुमार सिंह?

सत्यजीत कुमार सिंह का जन्म बिहार के जमुई जिले के किसान परिवार में हुआ था। बिहार में मखाना की खेती दशकों से हो रही है, लेकिन पहले यह असंगठित थी। छोटे-छोटे किसान मखाना उगाते और उनके हक का लाभ बिचौलिए ले जाते। सत्यजीत ने इस स्थिति को बदला। उन्होंने शक्ति सुधा इंडस्ट्रीज नाम की कंपनी शुरू की और अपने साथ किसानों को जोड़ा। आज उनसे करीब 20 हजार किसान जुड़े हुए हैं।

सत्यजीत सीधे किसानों से मखाना के दाने खरीदते हैं और प्रोसेस करते हैं। इससे किसानों की आमदनी बढ़ी है। मखाना के क्षेत्र में योगदान के चलते सत्यजीत को मखाना मैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। सत्यजीत द्वारा मखाना के क्षेत्र में काम करने से पहले किसानों को मखाना के बीज 40 रुपए किलो तक बेचना पड़ता था। आज उन्हें 400 रुपए प्रति किलो से अधिक मिल रहा है।

सत्यजीत ने कैसे बदली मखाना की खेती?

सत्यजीत ने मखाना को सिर्फ एक सेहतमंद नाश्ते की बजाय सुपर फूड के रूप में बाजार में पेश किया। मखाना फैट फ्री है। फाइबर से भरपूर होने के चलते यह पेट के लिए अच्छा है। इसके साथ ही यह पोषक तत्वों से भी भरा है। सत्यजीत ने मखाना के कई प्रोडक्ट तैयार किए और उनका निर्यात किया। इससे मखाना की अच्छी कीमत मिली। किसानों को लाभ हुआ तो उन्होंने खेती बढ़ाई। मखाना की खेती 1,500 हेक्टेयर से बढ़कर 25,000 हेक्टेयर से भी अधिक हो गई है।

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कहां होती है मखाना की खेती?

मखाना की खेती मुख्य रूप से बिहार के 8 जिलों के 38 ब्लॉकों में होती है। पहले मखाना ज्यादातर बड़ी झीलों या तालाबों में उगाया जाता था। अब इसे जलभराव और बाढ़ के पानी से भरे रहने वाले खेतों में उगाया जाने लगा है। मखाना का पौधा जलीय होता है। इसे बढ़ने के लिए 1.5 से 2 फीट गहरे पानी की जरूरत होती है।

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