
नई दिल्ली। भारत एक बार फिर एक ऐसे चुनावी दौर में प्रवेश करने जा रहा है जो देश की राजनीति की दिशा बदल सकता है। बिहार विधानसभा चुनाव खत्म होते ही अब पूरा देश 2026 में होने वाले बड़े राज्य चुनावों और सैकड़ों स्थानीय निकाय चुनावों के लिए तैयार हो रहा है। आने वाले महीनों में जिस तरह का चुनावी माहौल बनने वाला है, उसे देखकर साफ है कि 2026 का साल पूरी तरह “हाई-वोल्टेज राजनीतिक मुकाबलों” से भरा होगा।
2026 में देश के पांच बड़े राज्यों असम, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ये पांचों राज्य राजनीतिक रूप से बेहद अलग हैं, और हर राज्य में मुकाबला अपने अलग ही रंग में देखने को मिलेगा। सबसे बड़े चुनावी राज्य तमिलनाडु में 234 सीटों पर बेहद दिलचस्प मुकाबला होगा। यहां की राजनीति हमेशा से गठबंधनों के समीकरणों पर टिकी रही है। 2026 में डीएमके, एआईएडीएमके, बीजेपी, कांग्रेस-चारों ही पार्टियाँ नए सिरे से रणनीति बना रही हैं।
असम की 126 सीटों पर चुनाव होंगे। यहाँ की राजनीति जाति, क्षेत्र और समुदायों के गणित पर चलती है। ऐसे में हर दल अपनी रणनीति पहले से तेज कर चुका है।
केरल की 140 सदस्यीय विधानसभा हर बार सत्ता बदलने के लिए जानी जाती है। लेकिन क्या इस बार भी वही परंपरा जारी रहेगी? या कुछ अलग होने वाला है?
तमिलनाडु की 234 सीटों पर चुनाव अप्रैल-मई 2026 में होने की उम्मीद है। यहाँ की राजनीति हमेशा हाई-वोल्टेज होती है-स्टार पावर, क्षेत्रीय दलों की ताकत और गठबंधन सभी बड़ा रोल निभाते हैं।
पश्चिम बंगाल की 294 सीटों का चुनाव हमेशा राष्ट्रीय सुर्खियों में रहता है। क्या इस बार समीकरण पलटेंगे या फिर इतिहास दोहराया जाएगा?
पुडुचेरी की 30 सीटों के चुनाव राष्ट्रीय राजनीति के मूड को संकेत देते हैं और यहां त्रिकोणीय मुक़ाबला देखने को मिल सकता है।
राज्यों के अलावा देश के कई हिस्सों में बड़े पैमाने पर स्थानीय निकाय चुनाव भी होंगे। ये चुनाव भले छोटे कहलाते हों, लेकिन यही वह जगह है जहाँ से राजनीतिक जमीन बनती है।
2026 सिर्फ “एक और चुनावी साल” नहीं है- यह वह समय है जब पाँच बड़े राज्य, पूरे महाराष्ट्र के स्थानीय निकाय, उत्तर-पूर्व के अहम क्षेत्र और केरल जैसे जागरूक राज्यों की जनता मिलकर यह तय करेगी कि आगे राजनीति किस दिशा में जाएगी।