COVID-19 : 21 % भारतीय प्राइवेट हॉस्पिटल में लेना चाहते हैं वैक्सीन, आगे दोगुनी हो सकती है संख्या

भारत में कोविड-19 (COVID-19) वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने देशभर के करीब 24000 प्राइवेट अस्पतालों को कोविशिल्ड (Covishield) और कोवाक्सिन (Covaxin) टीके का इस्तेमाल शुरू करने की अनुमति देने का फैसला किया है। वैक्सीनेशन प्रोग्राम के अगले दौर में 1 मार्च 2021 से 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों और किसी तरह की बीमारी से प्रभावित 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों का टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा।

भारत में कोविड-19 (COVID-19) वैक्सीनेशन अभियान को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने देशभर के करीब 24000 प्राइवेट अस्पतालों को कोविशिल्ड (Covishield) और कोवाक्सिन (Covaxin) टीके का इस्तेमाल शुरू करने की अनुमति देने का फैसला किया है। वैक्सीनेशन प्रोग्राम के अगले दौर में 1 मार्च 2021 से 60 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों और किसी तरह की बीमारी से प्रभावित 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों का टीकाकरण प्राथमिकता के आधार पर किया जाएगा। फिलहाल, इसके लिए कार्यक्रम बनाने के मकसद से देश के प्राइवेट हेल्थ सेक्टर के साथ बातचीत का दौर चल रहा है। इसमें निजी अस्पतालों से कोविड-19 टीकाकरण की लागत पर भी चर्चा शामिल होगी। इसमें वैक्सीनेशन करने वाले हेल्थ वर्कर्स के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल भी शामिल है। इस बीच, सरकारी अस्पतालों में लोगों का बिना किसी खर्च के टीकाकरण जारी रहेगा।

दो वैक्सीन कौन सी हैं, उनकी क्या कीमत हो सकती है?

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भारत में कोविड-19 के 2 टीकों के आपातकालीन उपयोग के प्राधिकरण को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और ब्रिटिश-स्वीडिश फर्म AstraZeneca के शोधकर्ताओं द्वारा विकसित कोविशिल्ड दिया गया था। इसे पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) में निर्मित किया जा रहा है। हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड में कोवाक्सिन का प्रोडक्शन हो रहा है।  सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कहा है कि उसके वैक्सीन की प्रति खुराक कीमत 200 रुपए के हिसाब से केंद्र सरकार को 1.1 करोड़ खुराक की आपूर्ति की जाएगी। इसी तरह, सरकार ने बायोटेक से 206 प्रति खुराक की लागत पर कोवाक्सिन की पहली 55 लाख खुराकें खरीदी हैं। 1.25 करोड़ से ज्यादा लोगों को पहली खुराक ले ली है, जबकि 20 लाख से ज्यादा लोगों ने दूसरी खुराक भी ली है। हेल्थ वर्कर्स को सबसे पहले कोविड वैक्सीन दिया गया।

दूसरे चरण में किसे-किसे वैक्सीन लगाई जाएगी?

प्राइवेट अस्पतालों को 60 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को टीका लगाने की अनुमति देने और 45 साल से ऊपर के किसी बीमारी से पीड़ित लोगों के टीकाकरण को ध्यान में रखते हुए उनके बारे में जानकारी हासिल करने के लिए लोकल सर्किल्स (LocalCircles) ने एक सर्वेक्षण किया है, जो पेमेंट कर के प्राइवेट अस्पतालों में वैक्सीन लगवाना बेहतर समझते हैं। इस टीकाकरण का आधार और इसका अधिकतम मूल्य क्या होगा, इसे लेकर जो लोग भुगतान करने के लिए तैयार हैं। यह ध्यान देने की बात है कि जब तक इन टीकों के लिए अधिकतम मूल्य (MRP) तब तक निर्धारित नहीं किया जा सकता, जब तक बाजार उपयोग प्राधिकरण (Market use Authorisation) जारी नहीं किया जाता है। इस सर्वेक्षण में भारत के 266 जिलों में स्थित लोगों से 16,000 से ज्यादा लोगों को शामिल किया गया। 

21 प्रतिशत लोग प्राइवेट में वैक्सीन लगवाना चाहते हैं

सर्वेक्षण से पता चलता है कि 21 फीसदी लोग निजी अस्पताल में भुगतान कर के टीका लगवाना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। 19 फरवरी, 2021 को जारी पिछले लोकल सर्किल्स वैक्सीन सर्वेक्षण से यह संकेत मिला था कि टीका लेने के इच्छुक लोगों में से 20 फीसदी में 1 महीने के भीतर टीका लगवाने को लेकर किसी तरह का कोई संदेह नहीं रह गया है। 

 

 

सरकार द्वारा प्राइवेट अस्पतालों को कोविड-19 वैक्सीन लगाने की अनुमति देने के बाद लोगों की की इसे लेकर राय को समझने के लिए सर्वेक्षण किया गया। इसमें यह पता लगाने की कोशिश की गई कि लोग अपने परिवार के सदस्यों को किस तरह टीका लगवाना चाहते हैं। जिनका टीकाकरण अगले चरण में होना है, उनमें 60 वर्ष की उम्र से ऊपर या किसी बीमारी के लक्षणों वाले 45 वर्ष से ज्यादा उम्र के व्यक्ति होंगे। इस सर्वे में करीब 35 फीसदी छात्रों ने कहा वे किसी सरकारी स्वास्थ्य केंद्र में वैक्सीन लेना बेहतर मानते हैं। वहीं, 21 फीसदी लोगों ने कहा कि वे यह वैक्सीन किसी प्राइवेट अस्पताल में ही लेना चाहेंगे।

27 प्रतिशत लोग तो वैक्सीन लेना ही नहीं चाहते हैं

27 फीसदी  ऐसे भी लोग थे, जिन्होंने कहा कि वे वैक्सीन नहीं लेना चाहते हैं। इस सर्वेक्षण से यह पता चला है कि 5 फीसदी लोग पहले टीका लेना चाहते हैं, जबकि 6 फीसदी लोगों ने इसे लेकर कुछ भी नहीं कहा। इसलिए कहा जा सकता है कि 21 फीसदी लोग अपने परिवार के सदस्यों को भुगतान के आधार पर किसी प्राइवेट अस्पताल में वैक्सीन दिलवाना चाहते हैं। इसके अलावा, यह भी उल्लेखनीय है कि अन्य 27 फीसदी लोग टीका लेने की योजना बना रहे हैं, लेकिन फिलहाल इस बारे में तय नहीं कर सके हैं कि वे  निजी अस्पताल या सरकारी केंद्र में टीका लें। इससे यह संकेत मिलता है कि अगर प्राइवेट अस्पताल टीकाकरण अभियान में शामिल हो सकते हैं, क्योंकि लोग इसके लिए भुगतान करने को तैयार हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि भारत में 75 फीसदी आउटडोर पेशेंट और 55 फीसदी भर्ती होने वाले मरीज प्राइवेट अस्पतालों में ही इलाज करवाते हैं। हालांकि, सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों में टीका मुफ्त लगेगा, वहीं देश में प्राइवेट हेल्थ सर्विस सेक्टर को प्राथमिकता हासिल है।

16 प्रतिशत लोग 1000 रु. तक भुगतान कर सकते हैं

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि सरकार ने 10,000 सरकारी केंद्रों पर नागरिकों के लिए मुफ्त में कोविड-19 वैक्सीन की सुविधा देने का फैसला किया है। कहा जा रहा है कि सरकार वैक्सीन की कीमत तय करने के लिए प्राइवेट अस्पतालों के साथ बैठकें कर रही है। वैक्सीन की कीमत में उसके बनाने पर आए खर्च के अलावा नर्स, प्रशासन और दूसरे इंतजामों पर आए खर्च भी शामिल होंगे। इस सर्वेक्षण में इस बात को  समझने की गई कि लोग अपने परिवार के दो सदस्यों के लिए कितनी खुराक का भुगतान करने को तैयार हैं। सर्वेक्षण से पता चला कि 17 फीसदी लोग 200 रुपए तक, 22 फीसदी 300 रुपए तक और 24 फीसदी लोग 600 रुपए तक भुगतान करने के लिए तैयार हैं। वहीं,16 फीसदी लोगों ने कहा कि वे 1000 रुपए तक भुगतान कर सकते हैं। 6 फीसदी लोग 1000 रुपए से ज्यादा भुगतान के लिए तैयार थे, जबकि 15 फीसदी लोगों ने इसके बारे में कुछ भी नहीं कहा।

 

 

सर्वेक्षण के निष्कर्ष से पता चलता है कि कि निजी अस्पतालों में अगले चरण में कोविड-19 वैक्सीन लेने की योजना बनाने वालों में से 63 फीसदी दो खुराक के लिए कुल शुल्क में 600 रुपए से ज्यादा का भुगतान नहीं करेंगे। इससे पता चलता है कि सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए कोशिश करनी होगी कि निजी अस्पतालों को सबसे कम लागत पर वैक्सीन मिले, ताकि वे इस बजट में लोगों का टीकाकरण की सुविधा दे सकें। 

सर्वेक्षण के परिणाम बताते हैं कि इस समय 21 फीसदी लोग अपने परिवार के सदस्यों को निजी अस्पतालों में पेमेंट कर वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार हैं। यह इस पर निर्भर करता है कि निजी अस्पताल टीकाकरण अभियान को कैसे आगे बढ़ाते हैं। जहां तक सवाल 27 फीसदी लोगों का है, जिन्होंने इसके बारे में अभी कुछ भी तय नहीं किया है। निजी अस्पतालौं में टीका लगवाने के लिए 63 फीसदी लोग 600 रुपए या उससे कम का भुगतान करने को तैयार हैं। अब सरकार को वैक्सीन निर्माताओं और निजी अस्पतालों के साथ अंतिम मूल्य निर्धारण पर बातचीत करनी होगी। मूल्य निर्धारण के अलावा, कई लोगों के लिए बड़ी चिंता की वजह टीके की कालाबाजारी और दूसरे तरह के खर्चे भी हैं।

266 जिलों के 16,0000 से ज्यादा लोगों ने दी प्रतिक्रियाएं

भारत के 266 जिलों में रहने वाले लोगों से 16,000 से ज्यादा प्रतिक्रियाएं ली गईं। सर्वेक्षण में 65 फीसदी पुरुष शामिल थे, जबकि 35 फीसदी महिलाएं थीं। 49 फीसदी लोग टियर 1 शहरों से थे। टियर 2 शहरों से 28 फीसदी और 23 फीसदी टियर 3, 4 शहरों और ग्रामीण इलाकों से थे। यह सर्वेक्षण LocalCircles प्लेटफॉर्म के जरिए किया गया और सभी प्रतिभागियों ने इस सर्वेक्षण में शामिल होने के लिए लेने के लिए LocalCircles में रजिस्ट्रेशन कराया था।

LocalCircles के बारे में भी जान लें

LocalCircles भारत का प्रमुख सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। यह नागरिकों और छोटे व्यवसायों के लिए नीति और प्रवर्तन हस्तक्षेपों के लिए काम करता है। यह सरकार के साथ मिल कर ऐसी नीतियां बनाने में सहयोग करता है, जो नागरिकों और लघु व्यवसायों पर केंद्रित हैं।  LocalCircles के बारे में अधिक जानकारी के लिए http://www.localcircles.com पर संपर्क किया जा सकता है।

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