राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2019 के लिए देश भर के अलग-अलग क्षेत्रों से 10 लड़कियों और 12 लड़कों समेत 22 बच्चों को नामित किया गया है। जिसमें 10 वर्षीय राखी को दिया जा रहा है। राखी ने तेंदुए के हमले से अपने 4 साल के भाई को बचाया था। इसी तरह अन्य वीरता का काम करने वाले 22 बच्चों को नामित किया है।
नई दिल्ली. राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार 2019 के लिए देश भर के अलग-अलग क्षेत्रों से 10 लड़कियों और 12 लड़कों समेत 22 बच्चों को नामित किया गया है। इंडियन काउंसिल फॉर चाइल्ड वेलफेयर ने जिन 22 बच्चों को चुना है, उनमें से एक को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जाएगा। जबकि शेष सभी बच्चों को उनके वीरता के अदम्य साहस के लिए दिया जाएगा। ये सभी बहादुर बच्चे देश के 12 अलग अलग राज्यों से हैं। जिसमें केरल के रहने वाले 15 वर्षीय मास्टर आदित्य भी इस पुरस्कार से सम्मानित किए जाएंगे।
इस साल 5 पुरस्कारों की घोषणा
ICCW संस्था ने इस साल पांच नए पुरस्कारों की शुरुआत की है। जिसमें मार्कंडेय अवॉर्ड, ध्रुव अवॉर्ड, अभिमन्यु अवॉर्ड, प्रह्लाद अवॉर्ड और श्रवण अवॉर्ड हैं। ICCW मार्कंडेय अवॉर्ड उत्तराखंड की 10 वर्षीय राखी को दिया जा रहा है। राखी ने तेंदुए के हमले से अपने 4 साल के भाई को बचाया था। तेंदुए से भाई को बचाने में राखी को गंभीर चोट आई थी। इसी तरह ध्रुव अवॉर्ड 16 साल की पूर्णिमा गिरि और 15 साल की सबिता गिरि को दिया जाएगा। इन दोनों ने मिलकर मगरमच्छों से भरी नदी में से 12 लोगों को डूबने से बचाया था। यह हादसा नाव के डूबने की वजह से हुआ था।
15 साल के इस मास्टर ने बचाई थी 40 लोगों की जान
मास्टर आदित्य ने साल 2019 में नेपाल में 40 लोगों की जान बचाई थी जब एक टूरिस्ट बस में आग लग गई थी। बस सीमा से 50 किलोमीटर पहले जब भारतीय सीमा में पहुंचने वाली थी, तभी उसमें आग लग गई थी। बस में आग लगते ही ड्राइवर भाग गया, तब आदित्य ने हथौड़े से पीछे की खिड़की तोड़कर 40 यात्रियों की जान बचाई थी। इस हादसे में बस का डीजल टैंक फट गया था, जिससे पूरी बस आग के गोले में बदल गई और जलकर राख हो गई। अपने भविष्य के सपने को लेकर आदित्य मुस्कराते हुए कहते हैं, "मैं इंडियन एयरफोर्स ज्वाइन करना चाहता हूं।" वे अपनी योजना समझाते हुए कहते हैं, "मैं स्कॉलरशिप का इस्तेमाल करके मेहनत से पढ़ाई करूंगा।"
तीन दोस्तों को बचाया और उसकी हो गई मौत
केरल के ही एक और बहादुर बच्चे को राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार मिला है, लेकिन वह इतना सौभाग्यशाली नहीं था। मोहम्मद मोहसिन अकेले ऐसे वीरता पुरस्कार विजेता हैं, जिन्हें यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया जाएगा। मोहसिन को अभिमन्यु अवॉर्ड से नवाजा जाएगा। कोझिकोड में मोहसिन ने गहरे समुद्र में डूब रहे अपने तीन दोस्तों को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगा दी थी। तीनों दोस्त तो बच गए, लेकिन दोस्तों की जान की कीमत मोहसिन को अपनी जान देकर चुकानी पड़ी। मोहसिन का परिवार उसकी बहादुरी को लेकर भावुक भी है और उसके न होने से दुखी भी है। उनके पिता भावुक होकर कहते हैं, "मेरे बच्चे को एक बहादुरी से भरी मौत नसीब हुई। यह पुरस्कार सभी बहादुर बच्चों के लिए है।"
कश्मीर के दो हीरो
राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार पाने वालों में दो बच्चे जम्मू कश्मीर के भी हैं। सरताज मोहिउद्दीन मुगल और मुदासिर अशरफ। सरताज का परिवार लाइन ऑफ कंट्रोल (LoC) पर रहता है। सरताज ने पाकिस्तान की ओर से हो रही गोलीबारी में फंसे अपने परिवार को बचाया था। उनके घर पर एक शेल आकर गिरा और घर ध्वस्त हो गया, लेकिन सरताज ने अपने परिवार को वहां से सुरक्षित निकाल लिया। इसी तरह मुदासिर ने फरवरी 2019 में बडगाम में इंडियन एयर फोर्स की स्ट्राइक के दौरान जवानों को बचाने में उनकी मदद की थी।
13 साल की बच्ची ने बचाई थी अपने परिवार की जान
अलाइका ने मात्र 13 साल की उम्र में अपने परिवार की जान बचाई थी, जब उनकी कार का एक्सीडेंट हो गया था। अलाइका को यह पुरस्कार मिलने पर उनके परिवार को गर्व महसूस हो रहा है। परिवार का कहना है, "वह हमारी इकलौती बेटी है। वह हमारी बेटी भी है और बेटा भी। उसने यह साबित किया है कि लड़कियां लड़कों से कहीं भी कमतर नहीं होतीं।"