केंद्र सरकार की नीतियों के विरोध में देशभर में तमाम कर्मचारी संगठनों ने हड़ताल करने का ऐलान किया है। 8 जनवरी को सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों के 25 करोड़ से अधिक लोग हिस्सा लेंगे। जिससे बैंक सहित तमाम कार्य प्रभावित होंगे।
नई दिल्ली. केंद्र सरकार के नीतियों के खिलाफ 8 जनवरी को बुलाए गए देशव्यापी बंद में कुल 10 केंद्रीय ट्रेड यूनियनों से जु़ड़े लोग हिस्सा लेंगे। दावा किया है कि लगभग 25 करोड़ लोग हड़ताल में हिस्सा लेंगे। यह हड़ताल सरकार की "जन-विरोधी" नीतियों के खिलाफ में की जा रही है। जिसमें INTUC, AITUC, HMS, CITU, AIUTUC, TUCC, SEWA, AICCTU, LPF, UTUC और कई स्वतंत्र संगठनों ने हड़ताल में साथ देने का ऐलान किया है।
सरकार की नीतियां जन विरोधी
सेंट्रल ट्रेड यूनियनों द्वारा जारी एक संयुक्त बयान के अनुसार, 25 करोड़ से अधिक लोग इस आंदोलन में हिस्सा लेंगे। यूनियन का कहना है कि सरकार द्वारा "मजदूर विरोधी वर्ग, जनविरोधी और राष्ट्रविरोधी नीतियों" को वापस लेने की मांग करेंगे। इसके अलावा, संयुक्त बयान ने यह भी पढ़ा कि श्रम मंत्रालय ने श्रमिकों को उनकी मांगों को लेकर बहुत कम काम किया है।
सीटू के संयुक्त बयान में कहा गया है कि श्रमिकों और मजदूरों के प्रति सरकार का रवैया गलत है। जिसे सरकार की कई नीतियों के माध्यम से समझा जा सकता है। बढ़ी हुई फीस और शिक्षा के व्यावसायीकरण के खिलाफ लगभग 60 छात्र संगठनों और कुछ विश्वविद्यालयों के निर्वाचित प्रतिनिधियों ने हड़ताल में भाग लेने का निर्णय लिया है।
ट्रेड यूनियनों ने जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा की निंदा की है। साथ ही जुलाई 2015 के बाद से भारतीय श्रम सम्मेलन के आयोजन न होने पर असंतोष जाहिर किया है।
निजीकरण पर जताया ऐतराज
ट्रेड यूनियनों ने कहा कि 12 हवाई अड्डों का निजीकरण किया जा चुका है। इसके साथ ही एयर इंडिया और बीपीसीएल को बेचने की तैयारी है। वहीं, बीएसएनएल-एमटीएनएल का विलय किया जा चुका है। जबकि स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना के तहत देश भर में में 93 हजार 600 दूरसंचार कर्मचारी पहले ही अपनी नौकरी गंवा चुके हैं।
ट्रेड यूनियन रेलवे में निजीकरण, 49 रक्षा उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण और बैंकों के जबरन विलय के खिलाफ भी ट्रेड यूनियन विरोध जताएंगे। इसके साथ ही उम्मीद जताई जा रही है कि 175 किसान और कृषि संगठन भी यूनियन के माध्यम से अपनी मांगों को रखेंगे।