JNU में छात्रसंघों के बीच झड़प में 25 छात्र घायल, राहुल ने कहा छात्रों की आवाज से डरी फासीवादी सरकार

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में रविवार रात को हिंसा भड़क गयी जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया, परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 5, 2020 6:43 PM IST

नई दिल्ली. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय परिसर में रविवार रात को हिंसा भड़क गयी जब लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश लोगों ने छात्रों तथा शिक्षकों पर हमला किया, परिसर में संपत्ति को नुकसान पहुंचाया जिसके बाद प्रशासन को पुलिस को बुलाना पड़ा। घटना के बाद हरकत में आये गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस से और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार से इस बारे में रिपोर्ट तलब की है। घटना के बाद कम से कम 18 लोग घायल हो गये जिन्हें एम्स में भर्ती कराया गया है। हमले में जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष को सिर में चोट आई है।

इस बीच, एक अधिकारी ने बताया कि गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली के पुलिस आयुक्त से बात की, जेएनयू में स्थिति के बारे में पूछताछ की। गृह मंत्री ने जेएनयू में हिंसा पर दिल्ली पुलिस से रिपोर्ट मांगी है।

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने की हिंसा की निंदा 
उधर, जेएनयू के पूर्व छात्र तथा विदेश मंत्री एस जयशंकर ने जेएनयू में हुई हिंसा की घटना की निंदा की। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, ‘‘जेएनयू में जो कुछ भी हो रहा है उसकी तस्वीरें देखीं। हिंसा की स्पष्ट शब्दों में निंदा करता हूं। यह विश्वविद्यालय की परंपरा और संस्कृति के बिल्कुल खिलाफ है।’’ जेएनयू प्रशासन ने कहा कि लाठियों से लैस नकाबपोश उपद्रवी परिसर के आसपास घूम रहे थे। वे संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे और लोगों पर हमले कर रहे थे।

वाम नियंत्रित जेएनयू छात्र संघ और आरएसएस समर्थित एबीवीपी ने करीब दो घंटे तक चली हिंसा के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया है।

जेएनयू परिसर में हिंसा भड़कने के बाद जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने एक बयान में कहा, ‘‘पूरे जेएनयू समुदाय के लिए अत्यावश्यक संदेश है कि परिसर में कानून व्यवस्था की समस्या पैदा हो गयी है। लाठियों से लैस कुछ नकाबपोश उपद्रवी आसपास घूम रहे हैं, संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे हैं और लोगों पर हमले कर रहे हैं। जेएनयू प्रशासन ने व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस को बुलाया है। यह शांति बनाये रखने और चौकन्ना रहने का क्षण है। उपद्रवियों से निपटने के लिए प्रयास चल रहे हैं।’’

मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने परिसर में घटना को लेकर जेएनयू रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार से तत्काल रिपोर्ट मांगी है। अधिकारियों ने बताया, ‘‘हमने जेएनयू रजिस्ट्रार से परिसर की स्थिति के बारे में फौरन रिपोर्ट देने को कहा है। हमने कुलपति तथा दिल्ली पुलिस के अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने को कहा कि परिसर में शांति रहे।’’

एक दूसरे पर आरोप लगा रहे छात्र संगठन 
सूत्रों के मुताबिक जेएनयू शिक्षक संघ द्वारा बुलाई गई बैठक के दौरान यह झड़प हुई। छात्र संघ ने दावा किया कि उसकी अध्यक्ष आईशी घोष और कई अन्य छात्र एबीवीपी सदस्यों के पथराव में चोटिल हो गए। हालांकि, आरएसएस से संबद्ध छात्र संगठन एबीवीपी ने आरोप लगाया कि वामपंथी संगठनों से संबद्ध छात्र संगठनों ने क्रूरतापूर्ण तरीके से हमला किया और उनके 25 कार्यकर्ता घायल हो गये।

लाठियां और रॉड लेकर घूम रहे थे नकाबपोश 
जेएनयू छात्र संघ ने दावा किया कि एबीवीपी के सदस्य नकाब पहनकर परिसर में लाठियां, रॉड लेकर घूम रहे थे। छात्र संघ ने आरोप लगाया, ‘‘वे ईंट पत्थर फेंक रहे थे। छात्रावासों में घुसकर छात्रों को पीट रहे थे। कई शिक्षकों की भी पिटाई की गयी।’’ उन्होंने दावा किया कि जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष घोष पर बुरी तरीके से हमला किया गया और उनके सिर से खून बह रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि बाहरी लोगों को परिसर में घुसने की अनुमति दी गयी और वे लड़कियों के हॉस्टलों में भी घुस गये।

उधर, एबीवीपी ने दावा किया कि वामपंथी छात्र संगठनों एसएफआई, आईसा और डीएसएफ के सदस्यों ने उन पर बुरी तरह हमला किया। उसने कहा, ‘‘हमले में करीब 25 छात्र गंभीर रूप से घायल हो गये और 11 छात्रों का अता-पता नहीं है। छात्रावासों में कई एबीवीपी सदस्यों पर हमले हो रहे हैं तथा वामपंथी गुंडे छात्रावासों में तोड़फोड़ कर रहे हैं।’’

विपक्षी कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने हिंसा को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर निशाना साधा। बड़ी संख्या में जेएनयू के छात्र राष्ट्रीय राजधानी में संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शनों में हिस्सा ले रहे हैं। इससे पहले जेएनयू फरवरी 2016 में कुछ छात्रों द्वारा लगाये गये कथित देश विरोधी नारों को लेकर बड़े विवाद में रहा था।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि देश की सत्ता पर काबिज फासीवादी लोग बहादुर छात्रों की आवाज़ से डरते हैं। जेएनयू में आज की हिंसा उसी डर को दिखाती है। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने घटना की निंदा की और कहा कि हालात पर करीब से नजर रखी जा रही है।

उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘जेएनयू में छात्रों और शिक्षकों पर हमला अत्यंत निंदनीय है। दिल्ली पुलिस को कानून व्यवस्था बनाये रखने तथा हिंसा के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए जेएनयू प्रशासन के साथ मिलकर हरसंभव कदम उठाने का निर्देश दिया। हालात पर करीब से नजर रखी जा रही है।’’

कांग्रेस ने आरोप लगाया कि जेएनयू छात्रों पर नकाबपोश लोगों का हमला ‘सरकार प्रायोजित कृत्य’ है।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट किया, मैं जेएनयू में हिंसा के बारे में जानकर स्तब्ध हूं। छात्रों पर जघन्य तरीके से हमला किया गया। पुलिस को हिंसा तत्काल रोकनी चाहिए और शांति बहाल करनी चाहिए। अगर हमारे छात्र विश्वविद्यालय परिसर के अंदर सुरक्षित नहीं रहेंगे तो देश कैसे प्रगति करेगा।’’

उन्होंने इस संबंध में उपराज्यपाल अनिल बैजल से बात की और पुलिस को कार्रवाई का निर्देश देने का अनुरोध किया।

कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘‘जेएनयू में छात्रों की पिटाई की गयी। गुंडे महिलाओं के छात्रावास में तोड़फोड़ कर रहे हैं। कहीं पुलिस नहीं है। कहीं जेएनयू प्रशासन नहीं है। क्या मोदी सरकार इसी तरह छात्रों और युवाओं से बदला लेती है।’’

माकपा महासचिव सीताराम येचुरी ने जेएनयू की हिंसा के लिए एबीवीपी को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि सत्ता में बैठे लोगों ने हमलों की साजिश रची।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने घटना की निंदा करते हुए कहा, ‘‘हमारे लेाकतंत्र के लिए शर्म की बात है। दिनेश त्रिवेदी के नेतृत्व में तृणमूल कांग्रेस का प्रतिनिधिमंडल जेएनयू के छात्रों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करने के लिए दिल्ली रवाना हो गया है जिसमें सजदा अहमद, मानस भुइयां और विवेक गुप्ता हैं।’’

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
 

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