
बेंगलुरू/नई दिल्ली। देश के कई एयरपोर्ट में बुधवार 3 दिसंबर की सुबह से ही चेक-इन सिस्टम में समस्या देखने को मिल रही है। इसका सीधा असर उड़ानों पर पड़ रहा है। बुधवार को बेंगलुरु के केम्पेगौड़ा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर 42 इंडिगो फ्लाइट्स रद्द करनी पड़ीं। इनमें 22 अराइवल और 20 डिपार्चर फ्लाइट शामिल हैं। हैदराबाद में एयरपोर्ट पर भारी भीड़ जमा हो गई, जबकि दिल्ली में चेक-इन प्रोसेस को मैन्युअल करना पड़ा।
सूत्रों के मुताबिक दिल्ली, हैदराबाद, मुंबई, चेन्नई, गोवा, कोलकाता और लखनऊ में अराइवल को रद्द करना पड़ा। वहीं, सबसे ज्यादा असर जिन शहरों की उड़ानों के लिए दिखा, उनमें मुंबई, दिल्ली, गोवा, हैदराबाद, चेन्नई, कोलकाता और अहमदाबाद शामिल हैं। 2 दिसंबर को भी बेंगलुरू एयरपोर्ट पर 20 इंडिगो उड़ानें रद्द कर दी गई थीं। इंडिगो के एक प्रवक्ता ने कहा, "पिछले कुछ दिनों में तकनीकी समस्याओं, हवाई अड्डे की भीड़ और ऑपरेशनल जरूरतों सहित विभिन्न कारणों से हमें कई उड़ानों में देरी और कुछ को कैंसिल करना पड़ा है। हमारी टीमें यह सुनिश्चित करने के लिए लगन से काम कर रही हैं कि फ्लाइट ऑपरेशन जल्द से जल्द सामान्य हो जाए। हम कस्टमर्स को ऑप्शनल फ्लाइट या रिफंड का विकल्प भी दे रहे हैं।
दिल्ली में पिछले महीने 5 नवंबर को विमानों के GPS सिग्नल में फर्जी सिग्नल आए थे। इसके चलते पायलटों को गलत लोकेशन और नेविगेशन डेटा अलर्ट मिले। एयर ट्रैफिक कंट्रोल के सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली और उसके आसपास के 100 किमी के इलाके में जीपीएस स्पूफिंग का असर देखा गया था। जीपीएस स्पूफिंग एक तरह का साइबर हमला है, जिसमें नेविगेशन सिस्टम को गलत सिग्नल भेजे जाते हैं। इससे पायलट या सिस्टम को गलत डेटा रिसीव होता है, जिससे कई बार फ्लाइट में तकनीकी खराबी, उसके भटकने की संभावना बढ़ जाती है।
बता दें कि 1 दिसंबर को केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने राज्यसभा में खुद जीपीएस स्पूफिंग की बात को माना। उन्होंने बताया कि विमानों को गलत सिग्नल भेजे गए थे। इसके चलते 800 से ज्यादा घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में देर हुई, जबकि 20 को रद्द करना पड़ा था। बता दें कि डीजीसीए यानी डायेरेक्टोरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने दो साल पहले यानी नवंबर 2023 में सभी एयरलाइंस और एयरपोर्ट्स को इस तरह के मामलों को शॉर्ट आउट कर उनकी रेगुलर तरीके से मॉनिटरिंग और रिपोर्टिंग के निर्देश दिए थे। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने बताया कि, जब भी सैटेलाइट नेविगेशन में कोई दिक्कत आती है तो भारत में मौजूद मिनिमम ऑपरेटिंग नेटवर्क से उड़ानों को सुरक्षित रूप से ऑपरेट किया जाता है। यह ग्राउंड बेस्ड पारंपरिक नेविगेशन और सर्विलांस सिस्टम पर चलता है।