नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने कहा कि भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लगभग 90 किमी पूर्व-दक्षिण पूर्व में नेपाल में था और यह बुधवार दमियानी रात 1.57 बजे आया।
नई दिल्ली. उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के निकट नेपाल सीमा से लगे हिमालयी क्षेत्र में बुधवार तड़के 6.3 तीव्रता के भूकंप के बाद पूरे उत्तर भारत में तेज झटके महसूस किए गए। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) ने कहा कि भूकंप का केंद्र उत्तराखंड के पिथौरागढ़ से लगभग 90 किमी पूर्व-दक्षिण पूर्व में नेपाल में था और यह बुधवार दमियानी रात 1.57 बजे आया।
नेपाल में भूंकप से हुए हादसे में 8 लोगों की मौत की खबर है। कई लोग घायल हुए हैं। नेपाल के डोटी जिले के प्रहरी कार्यालय के अनुसार, पूर्वी चौकी ग्राम पालिका में घर गिरने से एक परिवार के तीन लोगों सहित 8 लोगों की मौत हो गई। (फोटो क्रेडिट-nepalkhabar.com)
भूकंप दो बार आया। दूसरी बार रात 3.15 बजे एक बार फिर नेपाल में भूकंप रिकॉर्ड किया गया, जिसकी तीव्रता 3.6 मापी गई। दिल्ली और गाजियाबाद और गुरुग्राम के आसपास के इलाकों और यहां तक कि लखनऊ में भी झटके महसूस किए गए, जिससे लोगों की नींद उड़ गई। उत्तराखंड और उससे सटे नेपाल के हिमालयी क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से कम तीव्रता के भूकंप आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी ने ट्वीट किया-"ट्वीट नहीं करना चाहती लेकिन सुरक्षित रूप से कह सकते हैं कि यह भूकंप जैसा महसूस हुआ!"
कांग्रेस नेता राधिका खेरा ने लोगों से सतर्क रहने और सुरक्षित रहने का आग्रह किया। रेडियो जॉकी रौनक ने कहा, यह बेहद डरावना था। यूएसजीएस ने कहा कि भूकंप का केंद्र नेपाल में दिपायल से 21 किमी दूर था। NCS के आंकड़ों से पता चलता है कि इस क्षेत्र में मंगलवार देर शाम 4.9 तीव्रता और 3.5 तीव्रता के कम से कम दो भूकंप आए थे। उत्तराखंड में रविवार को 4.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसका केंद्र उत्तरकाशी से 17 किमी पूर्व-दक्षिण पूर्व में था।
भारत का कौन-सा राज्य भूकंप के किस जोन में
भू वैज्ञानिकों के अनुसार भारत में हर जगह भूकंप का खतरा बना रहता है, लेकिन कुछेक राज्य ही ऐसे हैं, जो सेंसेटिव जोन में आते हैं। यानी यहां तीव्रता के भूकंप आने की डर हमेशा रहता है। भारत को चार हिस्सों यानि जोन में बांटा गया है। जैसे जोन-1, जोन-2, जोन-3, जोन-4 तथा जोन-5। इसमें सबसे कम खतरे वाला जोन-2 है, जबकि जोन-5 में सबसे अधिक खतरा होता है।
जोन-एक: पश्चिमी मध्यप्रदेश, पूर्वी महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और उड़ीसा के हिस्से। यहां भूकंप का खतरा बेहद कम होता है।
जोन-दो: तमिलनाडु, राजस्थान और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा, पश्चिम बंगाल और हरियाणा। यहां अकसर भूकंप की आशंका बनी रहती है।
जोन-तीन: केरल, बिहार, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिमी राजस्थान, पूर्वी गुजरात, उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश का कुछ हिस्सा। यहां भी भूकंप के झटके महसूस होते रहते हैं।
जोन-चार : मुंबई, दिल्ली जैसे महानगर, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, पश्चिमी गुजरात, उत्तरांचल, उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाके और बिहार-नेपाल सीमा के इलाके। इस जोन में भी भूकंप का खतरा हमेशा मंडराता रहता है।
जोन-पांच : गुजरात का कच्छ इलाका, उत्तरांचल का एक हिस्सा और पूर्वोत्तर के ज्यादातर राज्य सबसे खतरनाक जोन में शामिल हैं। यहां बड़े भूकंप का खतरा बना रहता है।
जहां तक छत्तीगढ़ की बात है, तो भूकंप के लिहाज से छत्तीसगढ़ के ज्यादातर हिस्से सेफ जोन (सुरक्षित) में आते हैं। यानि यहां भूकंप आने की आशंका बहुत कम होती है। हालांकि भू गर्भ विशेषज्ञों का मानना है कि बेशक छत्तीसगढ़ की धरती में आमतौर पर भूकंप का केंद्र नहीं हो सकता है, लेकिन अन्य जगहों पर आने वाले भूकंप का असर यहां भी पड़ता है। अगर दूसरी जगह तीव्रता का भूकंप आता है, तो यहां नुकसान हो सकता है।
अब जानिए किस तीव्रता के भूकंप से कितना नुकसान
2.0 तीव्रता. रिएक्टर स्केल पर इस तीव्रता के भूकंप रोज करीब आठ हजार आते हैं, लेकिन ये महसूस नहीं होते।
2.0 से लेकर 2.9 की तीव्रता: रोज करीब हजार झटके आते हैं, लेकिन ये भी महसूस नहीं होते।
3.0 से लेकर 3.9 की तीव्रता: रिक्टर स्केल पर इस तीव्रता के झटके साल में करीब 49 हजार बार आते हैं। ये भी महसूस नहीं होते, पर मामूली नुकसान कर देते हैं।
4.0 से 4.9 की तीव्रता: साल में लगभग 6200 बार दर्ज किए जाते हैं। ये झटके महसूस होते हैं और नुकसान भी कर देते हैं।
5.0 से 5.9 तीव्रता: ये साल में लगभग 800 बार महसूस होते है। ये नुकसान पहुंचाते हैं।
6.0 से 6.9 तक की तीव्रता: साल में लगभग 120 बार दर्ज किए जाते हैं। ये 160 किलोमीटर तक के दायरे में बड़ा नुकसान कर देते हैं।
7.0 से लेकर 7.9 तक की तीव्रता: ये तबाही का कारण बनते हैं। ये साल में लगभग 18 बार आते हैं।
8.0 से लेकर 8.9 तक की तीव्रता: यह भूकंप सैकड़ों किलोमीटर के क्षेत्र में भयंकर तबाही ला देता है। हालांकि ये साल में कभी-कभार ही आते हैं।
9.0 से लेकर 9.9 तक की तीव्रता: यह भूकंप विनाश ला देता है। हजारों किलोमीटर के क्षेत्र में तबाही आ जाती है। ये 20 साल में एक बार आने की आशंका होती है।
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