
बेलगावि. अगर कोई आपसे कहे कि आपके टूटे हुए बाल गार्डन में पेड़ पौधे उगाने के काम आ सकते हैं तो क्या आप विश्वास मानेंगे। पहली बार में आप कहेंगे ना। लेकिन बेलगावि में दो लड़कियों ने इसे गलत साबित कर दिया।
खुशी अंगोल्कर और रेम्निका यादव कर्नाटक के बेलगावि केंद्रीय विद्यालय में क्लास 9वीं की छात्राएं हैं। इन दोनों छात्राओं ने टूटे हुए बालों से उर्वरक तैयार किया है, इसकी मदद से सब्जियां उगाईं जा रही हैं।
ऐसे की रिसर्च
चार महीने पहले दोनों छात्राओं ने बेलगावि के आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रेडिशनल मेडिसिन में इस पर रिसर्च शुरू की थी। छात्राओं ने यह रिसर्च आईसीएआर के वैज्ञानिक डॉ हर्षा के अंतर्गत यह रिसर्च की।
इस दौरान दोनों छात्राओं को आईसीएआर-केएलई कृषि विज्ञान केंद्र मट्टीकोप्प के वैज्ञानिकों श्रीदेवी अंगाड़ी, प्रवीण यदाहल्ली, शन्तप्पा वरद की भी मदद मिली।
टमाटर, गोभी और मिर्ची पर हुआ सफल प्रयोग
कुछ शोध के बाद, उन्होंने पाया कि मानव बालों में पौधों की वृद्धि को बढ़ाने के लिए आवश्यक पोषक तत्वों की एक अच्छी मात्रा होती है और उन्होंने इससे एक तरल कार्बनिक बनाया। इस तरल का टमाटर, गोभी और मिर्ची के बीजों पर इसका इस्तेमाल किया गया। इसके नतीजे काफी प्रभावी थे।
परंपरागत उर्वरक से ज्यादा हुई इस उर्वरक से पैदावार
राज्य स्तरीय बच्चों के विज्ञान कार्यक्रम में उनका विचार अद्वितीय था, जिसके बाद उन्हें राष्ट्रीय बच्चों के विज्ञान सम्मेलन के लिए चुना गया। इसके बाद उन्होंने इसका इस्तेमाल लिंगराज कॉलेज परिसर में 45 दिन की प्रक्रिया में पालक को उगाने में किया। पालक को 24 क्यारी (प्रत्येक 2mX 1m) में लगाया गया। 50% जगह पर छात्राओं द्वारा बनाए गए उर्वरक का दो बार इस्तेमाल किया गया। बाकी जगह पर परंपरागत उर्वरक का इस्तेमाल किया गया। 45 दिन बाद देखा गया कि जिस क्षेत्र में छात्राओं द्वारा बनाए गए उर्वरक का इस्तेमाल हुआ था, उसमें 2.3 किलो पालक, जबकि जहां परंपरागत उर्वरक इस्तेमाल हुआ, वहां पालक की मात्रा 1.7 किलो निकली।