आप मंत्री ने दिया इस्तीफा, बीजेपी के विरोध प्रदर्शन के बाद बैकफुट पर सरकार के मंत्री

आम आदमी पार्टी दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने इस्तीफा दे दिया है। बौद्धिस्ट सम्मेलन में आप मंत्री द्वारा हिंदू विरोधी बयान का आरोप है।

Dheerendra Gopal | Published : Oct 9, 2022 11:56 AM IST / Updated: Oct 09 2022, 06:17 PM IST

AAP minister resigns: आम आदमी पार्टी दिल्ली सरकार के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम ने इस्तीफा दे दिया है। बौद्धिस्ट सम्मेलन में आप मंत्री द्वारा हिंदू विरोधी बयान का आरोप है। BJP ने दिल्ली की आप सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। आप के मंत्री पर धर्मांतरण कराने का आरोप लगाते हुए केजरीवाल सरकार पर फ्री सामान देकर धर्मांतरण को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था। यही नहीं गुजरात पहुंचे केजरीवाल की रैली में भी कथित बीजेपी कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर विरोध कर तोड़फोड़ शनिवार को की थी। भाजपा ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल पर हमला करते हुए राजेंद्र पाल गौतम को बर्खास्त करने की मांग की थी।

क्यों हो रहा दिल्ली के मंत्री राजेंद्र पाल गौतम का विरोध?

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दिल्ली सरकार में मंत्री राजेंद्र पाल गौतम बुधवार को एक बौद्ध समारोह में सम्मिलित हुए थे। जय भीम मिशन दीक्षा कार्यक्रम में दस हजार से अधिक बौद्ध अनुयायियों के शामिल होने का दावा किया जा रहा है। मंत्री गौतम, कार्यक्रम कराने वाली संस्था जय भीम मिशन और द बुद्धिस्ट सोसायटी ऑफ इंडिया के संरक्षक हैं। खुद दिल्ली सरकार के मंत्री ने इस कार्यक्रम की जानकारी अपने सोशल मीडिया अकाउंट से दी थी। मंत्री ने लिखा था कि अशोका विजयादशमी पर डॉ. अंबेडकर भवन रानी झांसी रोड पर 10,000 से ज्यादा बुद्धिजीवियों ने तथागत गौतम बुद्ध के धम्म में घर वापसी कर जाति विहीन व छुआछूत मुक्त भारत बनाने की शपथ ली। नमो बुद्धाय, जय भीम!।'

इस कार्यक्रम में डॉ.बीआर अंबेडकर के पड़पोते राजरत्न अंबेडकर भी शामिल हुए थे। राजरत्न अंबेडकर ने ही बाबा साहेब की 22 प्रतिज्ञाओं को दोहराते हुए शपथ दिलाया था। राजेंद्र पाल गौतम द्वारा दिलाए गए इन प्रतिज्ञाओं में ही हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ कथित तौर पर बयान दिया गया था। वायरल वीडियो में उनमें से एक को सभा द्वारा दोहराया जा रहा है: "मुझे ब्रह्मा, विष्णु और महेश में कोई विश्वास नहीं होगा और न ही मैं उनकी पूजा करूंगा।" उधर, गौतम ने धर्म की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए माफी मांगने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल महान दलित नेता अंबेडकर द्वारा ली गई प्रतिज्ञाओं को दोहराया, जिन्होंने 1956 में इस तरह के एक कार्यक्रम में बौद्ध धर्म अपना लिया था।

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