अरुणाचल प्रदेश में एलएसी पर चीन के साथ तनातनी के बीच भारतीय वायु सेना अब जापानी एयरफोर्स के साथ मिलकर युद्धाभ्यास करने जा रही है। भारत और जापान की वायु सेना अगले महीने जापान में एक बड़ा अभ्यास करेगी, जो इस तरह का पहला द्विपक्षीय युद्धाभ्यास होगा।
नई दिल्ली. अरुणाचल प्रदेश में एलएसी (Line of Actual Control) पर चीन के साथ तनातनी के बीच भारतीय वायु सेना अब जापानी एयरफोर्स के साथ मिलकर युद्धाभ्यास करने जा रही है। भारत और जापान की वायु सेना अगले महीने जापान में एक बड़ा अभ्यास करेगी, जो इस तरह का पहला द्विपक्षीय युद्धाभ्यास(first such bilateral combat drill) होगा। अधिकारियों ने गुरुवार को को यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि अभ्यास 16 से 26 जनवरी तक आयोजित किया जाना है। हालांकि युद्ध अभ्यास पर अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। एक अधिकारी ने कहा, "अभ्यास दोनों देशों के बीच बढ़ते रणनीतिक सहयोग के अनुरूप किया जा रहा है।"
एशियाई देश और भारत के अभिन्न मित्र जापान की एयरफोर्स को अमेरिका के बाद दूसरे नंबर पर माना जाता है। मतलब कि क्या चीन और दूसरे देश; जापान की एयरफोर्स एशिया की सबसे मजबूत सेना है। यह अब अपने यहां घातक स्टील्थ फाइटर जेट के अलावा छठीं जेनरेशन का फाइटर प्लेन भी बना रहा है। जापानी एयरफोर्स को JASDF के नाम से भी जाना जाता है। यह 1954 में अस्तित्व में आई थी।
अगर सेना के बजट की बात करें, तो भारत-प्रशांत क्षेत्र में जापान अपनी सेना पर काफी अधिक खर्च करता है। यह दुनिया में नौंवे नंबर पर है।स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिप्री) की रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 49.1 बिलियन डॉलर के साथ जापान खर्च के मामले में नौंवे स्थान पर है। 1960 में जापान-अमेरिका के बीच म्युचुअल सिक्योरिटी एग्रीमेंट हुआ था। लिहाजा दोनों ही देश खतरनाक गोला-बारूद तैयार करने में एक-दूसरे की मदद करते आए हैं।
जापान और भारत की दोस्ती का अपना एक लंबा इतिहास रहा है। मई में जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी क्वाड मीटिंग में भाग लेने जापान गए थे, तब उन्होंने इस दोस्ती के कई उदाहरण पेश किए थे।
पीएम मोदी ने कहा था कि हमने भारत में एक strong और resilient, responsible democracy की पहचान बनाई है। उसको बीते 8 साल में हमने लोगों के जीवन में सकारात्मक बदलाव का माध्यम बनाया है। हमारी इस कैपेसिटी के निर्माण में जापान एक अहम भागीदार है। मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल हो, दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर हो, dedicated freight corridor हो, ये भारत-जापान के सहयोग के बहुत बड़े उदाहरण हैं।
उन्होंने कहा था कि हमने भारत में डिजिटल रिवोल्यूशन लाया। अब भ्रष्टाचार के बिना लोगों को सरकारी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। एक बटन दबाते ही उनके खाते में धन ट्रांसफर हो जा रहा है। आज की तारीख में दुनिया का 40 प्रतिशत डिजिटल लेन देन भारत में होता है। क्लिक करके पढ़ें पूरी डिटेल्स
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