मोदी 2.0 के 7 महीने; दशकों पुराने विवादों को एक एक कर यूं निपटा रही मोदी-शाह की जोड़ी

विपक्ष के लाख विरोध के बावजूद इस हफ्ते नागरिक संशोधन बिल दोनों सदनों में पास हो गया। इसी के साथ भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में शामिल एक और वादा पूरा कर लिया। 

Prabhanjan bhadauriya | Published : Dec 15, 2019 9:44 AM IST / Updated: Dec 15 2019, 03:25 PM IST

नई दिल्ली. विपक्ष के लाख विरोध के बावजूद इस हफ्ते नागरिक संशोधन बिल दोनों सदनों में पास हो गया। इसी के साथ भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में शामिल एक और वादा पूरा कर लिया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में बिल को पेश करते हुए सदन में कहा था, भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में इस बात का जिक्र किया था कि पड़ोसी देशों से प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों को हम सरंक्षण देने के लिए नागरिक संशोधन बिल लाएंगे।

मई में हुए लोकसभा चुनाव में मोदी सरकार को जनता ने प्रचंड बहुमत दिया। ऐसे में जनता को उम्मीदें थीं कि सालों से लटके मामले, जिनका जिक्र भाजपा के घोषणा पत्र में भी था, उन्हें निपटाया जाना चाहिए। दोबारा सत्ता में आने के बाद भाजपा ने तीन तलाक, आर्टिकल 370 और नागरिकता बिल पास कराकर वादे पूरे करने के मामले में हैट्रिक लगा दी।

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तीन तलाक: दूसरे कार्यकाल का यह पहला सत्र था। मुस्लिम महिलाओं को अधिकार दिलाने और तलाक ए बिद्दत (यानी एक साथ तीन तलाक) से उन्हें आजादी दिलाने वाला ऐतिहासिक बिल 30 जुलाई को राज्यसभा से पास हुआ था। भाजपा को राज्यसभा में बहुमत नहीं था, लेकिन फिर भी इसके समर्थन में 99 वोट मिले थे।

आर्टिकल 370: आर्टिकल 370 का जिक्र भाजपा जनसंघ के वक्त से कर रही है। यहां तक की जनसंघ के संस्थापक डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने इसी मुद्दे को लेकर अपनी जान गंवा दी थी। मुखर्जी को जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा दिए जाने के विरोध में आंदोलन चलाने के लिए गिरफ्तार किया गया था। 23 जून 1953 को श्रीनगर में उनकी जेल में संदिग्ध परिस्थिति में मौत हो गई थी। 70 साल से लटका यह मुद्दा हर बार भाजपा के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल होता था। लेकिन मोदी 2.0 में आर्टिकल 370 निष्प्रभावी किया गया। 5 अगस्त को राज्यसभा से बिल पास हो गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के केंद्रशासित राज्य बनने का भी रास्ता साफ हो गया। 

नागरिकता संशोधन विधेयक: तीन तलाक और आर्टिकल 370 के बाद अब बारी थी नागरिकता संशोधन विधेयक की। भाजपा के घोषणा पत्र में ये मुद्दा भी हमेशा शामिल रहा। भाजपा ने इस सत्र में इसे पेश किया और दोनों सदनों में पास करा लिया। यहां एक बार फिर अमित शाह की रणनीति ही काम आई कि विपक्ष के विरोध और राज्यसभा में पूर्ण बहुमत ना होने के बावजूद यह आसानी से पास हो गया। 

राम मंदिर: सरकार के पक्ष में फैसला
इसी बीच सुप्रीम कोर्ट के फैसले से दशकों से फंसा अयोध्या विवाद भी खत्म हो गया। सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए रामलला को विवादित जमीन का मालिकाना हक दिया। भाजपा भी हमेशा से अयोध्या में मंदिर बनाने के पक्ष में थी। साथ ही इसे घोषणा पत्र में भी शामिल किया जाता रहा। अब सुप्रीम कोर्ट के सरकार के पक्ष में फैसले से एक और वादा अपने आप ही पूरा हो गया। 

शाह ने संभाली कमान
पीएम मोदी ने जब राजनाथ सिंह की जगह इस बार अमित शाह को गृह मंत्री बनाया तो माना जा रहा था कि भाजपा में वे अब नंबर 2 की स्थिति में आ गए। शाह के गृह मंत्री रहते कठिन से कठिन और लंबे वक्त से अटके ऐसे मुद्दों को भाजपा सरकार ने हल किया, जिनमें हाथ डालने तक से पुरानी सरकारें डरती थीं। तीन तलाक, आर्टिकल 370 हो या नागरिकता संशोधन विधेयक, तीनों मामलों में शाह ही विपक्ष का सामना करते नजर आए। यहां तक की नागरिकता विधेयक के वक्त को नरेंद्र मोदी सदन में भी मौजूद नहीं रहे।

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