वायु शक्ति-2022: आज पोखरण में पावर डिमॉन्स्ट्रेशन करेगी IAF, 150 से अधिक फाइटर प्लेन करेंगे ताकत का मुजाहिरा

फायर पावर डिमॉन्स्ट्रेशन (एफपीडी) का यह दूसरा संस्करण है, जिसे 2013 और 2016 में ‘आयरन फिस्ट’ नाम के साथ आयोजित किया गया था। ‘वायु शक्ति’ के नाम से 2019 में आयोजित हुए पहले संस्करण में वायुसेना के 140 से अधिक विमानों ने हिस्सा लिया था।

नई दिल्ली। भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने 10 फरवरी को पोखरण (Pokhran), थार रेगिस्तान में होने वाले ‘वायु शक्ति-2022’ अभ्यास के दूसरे संस्करण की तैयारियां तेजी से पूरी कर ली हैं। फायर पावर डिमॉन्स्ट्रेशन के दौरान आधुनिक युद्धक्षेत्र में खतरों से निपटने के लिए इंडियन एयरफोर्स की आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं पर फोकस किया जाएगा। इसमें इलेक्ट्रॉनिक रूप से प्रतिस्पर्धा वाले वातावरण में काम करने की क्षमता और नेटवर्क-केंद्रित युद्ध रणनीतियों का सटीक संचालन करना शामिल है।

वायु शक्ति-2022 में 150 से अधिक लड़ाकू विमान लेंगे हिस्सा

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फायर पावर डिमॉन्स्ट्रेशन (एफपीडी) का यह दूसरा संस्करण है, जिसे 2013 और 2016 में ‘आयरन फिस्ट’ नाम के साथ आयोजित किया गया था। ‘वायु शक्ति’ के नाम से 2019 में आयोजित हुए पहले संस्करण में वायुसेना के 140 से अधिक विमानों ने हिस्सा लिया था। इसमें सुखोई-30एमकेआई, मिग-29यूपीजी, जगुआर, एलसीए तेजस आदि जैसे फास्ट-मूवर फाइटर जेट से लेकर एमआई-17 जैसे धीमे, लेकिन घातक हेलीकॉप्टर शामिल थे। इसके अलावा पैराट्रूपर्स और यूटिलिटी हेलीकॉप्टरों को शामिल करने वाले समन्वित मिशनों को भी अंजाम दिया गया था। इस अभ्यास का आम जनता के लिए लाइव टेलीकास्ट भी किया गया था।

वायु सेना की आक्रामक और रक्षात्मक क्षमताओं पर फोकस किया जाएगा

इस तरह के आयोजन हमेशा सेनाओं का मनोबल बढ़ाने का कार्य करते हैं, क्योंकि इससे सेनाओं की परिचालन, तत्परता का प्रभावी मूल्यांकन किया जाता है। इस दौरान यह देखने को मिलता है कि आधुनिक युद्ध में विनाश के हथियारों के साथ-साथ नेटवर्क क्षमता के उपयोग से कैसे लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। हर तीन साल में एक बार होने वाले अभ्यास ‘वायु शक्ति-2022’ के इस दूसरे संस्करण में 150 से अधिक विमानों की भागीदारी देखने को मिलेगी। इसमें दर्जनों राजनयिक और विदेशी अधिकारियों के भी शामिल होने की उम्मीद है। इसमें स्वदेशी उत्पादों के लाइव प्रचार का भी मौका मिलेगा क्योंकि भारत सरकार रक्षा के क्षेत्र में निर्यात का लक्ष्य पूरा करने की तलाश में है।

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