
Amit Khare Appointed Vice President Secretary: भारत सरकार ने एक बड़ा फैसला लेते हुए पूर्व IAS अधिकारी अमित खरे को उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का सचिव नियुक्त किया है। अमित खरे 12 अक्टूबर 2021 से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सलाहकार के रूप में काम कर रहे थे और प्रधानमंत्री कार्यालय में सामाजिक क्षेत्र से जुड़ी नीतियों को संभाल रहे थे। वे न केवल प्रशासनिक सेवाओं में अपनी ईमानदारी और दक्षता के लिए जाने जाते हैं, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को तैयार करने और लागू करने वाली कोर टीम का हिस्सा भी रहे हैं। अब उनकी नियुक्ति उपराष्ट्रपति कार्यालय में तीन साल के लिए की गई है, जिससे कई नए बदलावों की संभावना जताई जा रही है।
अमित खरे 1985 बैच के झारखंड कैडर के IAS अधिकारी हैं। अपने लंबे करियर में उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के कई अहम पदों पर काम किया। वे 2018 में भारत सरकार में सूचना एवं प्रसारण सचिव बने। इसके बाद उन्होंने स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता सचिव और फिर उच्च शिक्षा सचिव के तौर पर भी काम किया। उनकी कार्यशैली हमेशा पारदर्शिता और नीतिगत सुधारों पर केंद्रित रही है।
12 अक्टूबर 2021 से अमित खरे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) में सलाहकार की भूमिका निभा रहे थे। यहां वे मुख्य रूप से सामाजिक क्षेत्र की योजनाओं और नीतियों पर काम कर रहे थे। अब उन्हें उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन का सचिव नियुक्त किया गया है। यह नियुक्ति कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) ने मंजूर की है और वे तीन साल तक इस पद पर कार्य करेंगे।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) भारत की शिक्षा व्यवस्था में सबसे बड़ा सुधार माना जाता है। अमित खरे उस कोर टीम का हिस्सा थे जिसने इस नीति को तैयार किया और लागू करने की दिशा में काम किया। उनका योगदान इस नीति को जमीनी स्तर तक पहुंचाने में अहम माना जाता है। यही वजह है कि उन्हें शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र का गहरा जानकार कहा जाता है।
अमित खरे को सबसे ज्यादा चर्चा तब मिली जब उन्होंने बिहार के बहुचर्चित चारा घोटाले का भंडाफोड़ किया। इस घोटाले को उजागर करने में उनकी भूमिका ने उन्हें एक ईमानदार और कड़े फैसले लेने वाले अफसर के रूप में स्थापित किया। यही छवि आज भी उनके साथ जुड़ी हुई है।
अमित खरे की नियुक्ति से यह उम्मीद की जा रही है कि उपराष्ट्रपति कार्यालय और भी प्रभावी और नीति-निर्माण में सक्रिय होगा। उनके शिक्षा और सामाजिक क्षेत्र के अनुभव से उपराष्ट्रपति सी.पी. राधाकृष्णन को नई दिशा और दृष्टिकोण मिल सकता है। यह कदम सत्ता के गलियारों में एक रणनीतिक बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।