
Indian Navy Legacy: इंडियन नेवी के कमांडर एम.पी. मैथ्यू (Commander M.P. Mathew) अपनी दो दशक से भी अधिक की सेवा को सलामी देते हुए वर्दी को बीते अप्रैल में अलविदा कहा था। ठीक एक महीने बाद, 30 मई को उनकी बेटी एन रोज़ (Ann Rose) ने नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) के 148वें कोर्स से पासआउट होने वाली पहली महिला कैडेट्स (First Batch of Women Cadets) में शामिल होकर इतिहास रच दिया। यह वह पल था जो एक महान अध्याय का गवाह बना, देश सेवा में पूरा समय देने के बाद एक पिता रिटायर हो रहा था तो उनकी अगली पीढ़ी, उनकी बेटी उनकी जगह देश के लिए खुद को समर्पित कर रही थी। यह सिर्फ एक पिता-पुत्री की कहानी नहीं है, बल्कि यह उस पीढ़ियों से चली आ रही देशभक्ति, अनुशासन और सेवा भावना की गाथा है जो एक परिवार के भीतर वर्दी से वर्दी तक पहुंची।
कमांडर मैथ्यू की बेटी एन रोज़ की पूरी स्कूलिंग नौसेना बच्चों के स्कूल कोच्चि (Navy Children School, Kochi) में हुआ। वहां न सिर्फ उन्होंने पढ़ाई की बल्कि अपने पिता की वर्दी, समर्पण और सेवा के प्रत्यक्ष उदाहरणों से प्रेरणा भी पाई। जब 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने NDA को महिलाओं के लिए खोलने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया, तो एन रोज़ ने उस मौके को दोनों हाथों से थाम लिया। कठिन प्रवेश परीक्षा, मेडिकल, और इंटरव्यू की कई चुनौतियों को पार करते हुए उन्होंने 2022 में NDA के 148वें कोर्स में ऐतिहासिक प्रवेश लिया।
एनडीए में बिताए गए तीन साल किसी भी कैडेट के जीवन को पूरी तरह बदल देते हैं। यहां शारीरिक, मानसिक और नैतिक स्तर पर होने वाली ट्रेनिंग से निखरकर निकलता है एक नेतृत्वकर्ता, एक सैनिक, एक देशभक्त। एन रोज़ ने भी इन्हीं रास्तों से गुजरते हुए न सिर्फ खुद को साबित किया बल्कि भारत की बेटियों को एक नया रास्ता भी दिखाया।
30 मई 2025 को पुणे स्थित NDA के ऐतिहासिक खेत्रपाल परेड ग्राउंड (Khetrapal Parade Ground) पर जब एन रोज़ मार्च कर रही थीं तो दूर सह्याद्रि की पहाड़ियों और दर्शकदीर्घा में बैठे उनके पिता की आंखों में गर्व और भावनाओं का तूफान था। यह वही बेटी थी जो कभी नौसेना के जहाज पर झंडे को सलामी देती थी, अब वही सलामी उसे मिल रही थी।
इंडियन नेवी के कमांडर एम.पी. मैथ्यू (Commander M.P. Mathew) को यह जरा भी इल्म नहीं होगा कि उनके सर्विस का आखिरी अध्याय, उनकी बेटी की सेवा का पहला पन्ना बनने जा रहा है। कमांडर मैथ्यू जैसे सैन्य परिवारों की यही तो खासियत है, जहां जुनून, अनुशासन और समर्पण वर्दियों के साथ पीढ़ी दर पीढ़ी ट्रांसफर होते हैं।