कोरोना वायरस की वजह से भारत में भी दवाओं की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास केवल अप्रैल तक की दवा का ही स्टॉक बचा है। जिसके बाद से देश में दवाओं पर अब खतरा मंडराता हुआ दिख रहा है।
नई दिल्ली. चीन में फैले जानलेवा कोराना वायरस का असर अब दुनियाभर में दिखने लगा है। कोरोना वायरस के कारण चीन से आने वाले सामान पर रोक का असर बाजारों पर साफ दिख रहा है। कोरोना वायरस की वजह से भारत में भी दवाओं की गंभीर समस्या पैदा हो सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक भारत के पास केवल अप्रैल तक की दवा का ही स्टॉक बचा है।
दवाओं के न आने से कीमतों में इजाफा होने की उम्मीद बढ़ती जा रही है। ऐसे में सरकार ने एक उच्च स्तरीय कमेटी का भी गठन किया है। इस कमेटी में तकनीकी विभागों के विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। कमेटी ने केंद्र सरकार को एक रिपोर्ट भी सौंपी है, उसके मुताबिक अगले एक महीने में अगर चीन से दवाओं की सप्लाई नहीं होती है तो देश में गंभीर हालात पैदा हो सकते हैं।
सबसे ज्यादा चीन से आयात
दरअसल, चीन के वुहान जैसे शहरों में दवाओं से जुड़ी सबसे ज्यादा कंपनियां हैं। इन कंपनियों से कच्चे माल के रूप में दवाएं निकलती हैं और दुनियाभर के देशों में भेजी जाती हैं। ऐसे में भारत में भी 80 फीसदी एपीआई चीन से आतीं हैं। भारत चीन से करीब 57 तरह के मॉलिक्यूल्स मंगाता है। कोरोना की वजह फैक्ट्रियों पर अभी ताला लगा हुआ है। एपीआई ही नहीं ऑपरेशन थियेटर के 90 फीसदी पार्ट्स भी चीन से आते हैं।
दूसरे देशों में दवा नहीं भेज पाएगा भारत
चीन में फैले कोरोना वायरस का असर भारत की दवाओं पर पड़ता दिख रहा है। सूत्रों के मुताबिक मामले की गंभीरता को देखते हुए भारत दवाओं के निर्यात पर रोक लगा सकता है। भारत से अलग-अलग देशों में हर साल 1.3 लाख करोड़ रुपये की दवाओं का निर्यात होता है। चीन में इसी तरह के हालात बने रहे तो भारत में एंटीबॉयोटिक्स, एंटी डायबिटिक, स्टेरॉयड, हॉर्मोन्स और विटामिन की दवाओं की कमी हो सकती है
क्यों बढ़ गई दवाओं की दिक्कत
भारत में दवाओं की दिक्कत बढ़ने का कारण केवल करोनो वायरस ही नहीं है। दरअसल, चीन में जनवरी में छुट्टियां रहती हैं। ऐसे में कच्चा माल चीन में बहुत कम आता है। इसके बाद से वायरस फैल गया है और तब से चीन में उत्पादन पूरी तरह से रोक दिया गया है। जानकारी के मुताबिक, जब तक संक्रमण का प्रकोप कम नहीं हो जाता तब तक इन कंपनियों को खोला नहीं जाएगा। इसके बाद भी जब कंपनियां फिर से उत्पादन शुरू करेंगी तब भी समुद्री रास्ते से भारत तक दवा पहुंचने में कम से कम 20 दिन का समय लगेगा।