
नई दिल्ली। अगर आप iPhone, Android फोन, Mac, iPad या Google Chrome इस्तेमाल करते हैं, तो यह खबर आपको चौंका सकती है। Apple और Google ने एक साथ इमरजेंसी सिक्योरिटी अपडेट जारी कर साफ कर दिया है कि मामला सामान्य नहीं, बल्कि हाई-लेवल हैकिंग अटैक से जुड़ा है। सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्या हुआ कि दुनिया की दो सबसे बड़ी टेक कंपनियों को एक साथ अलर्ट जारी करना पड़ा?
इस पूरे मामले की जड़ है एक ज़ीरो-डे वल्नरेबिलिटी। यानी ऐसा बग जिसके बारे में कंपनी को तब तक पता नहीं चलता, जब तक हैकर उसका इस्तेमाल शुरू नहीं कर देते। Google ने माना कि Chrome ब्राउज़र में मौजूद एक कमी का फायदा पैच जारी होने से पहले ही उठाया जा चुका था। यही वजह है कि इसे बेहद खतरनाक माना जा रहा है, क्योंकि ऐसे हमले चुपचाप होते हैं और यूज़र को भनक तक नहीं लगती।
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इस बग की पहचान Google Threat Analysis Group (TAG) और Apple की सिक्योरिटी टीम ने मिलकर की। TAG आम तौर पर सरकार के सपोर्ट वाले साइबर ग्रुप्स और स्पाइवेयर कंपनियों पर नज़र रखता है। इससे अंदेशा लगाया जा रहा है कि यह हमला किसी आम साइबर अपराधी का नहीं, बल्कि सरकारी सर्विलांस या प्रोफेशनल स्पाइवेयर नेटवर्क से जुड़ा हो सकता है।
Apple ने लगभग अपने सभी बड़े प्रोडक्ट्स के लिए अर्जेंट अपडेट जारी किए हैं, जिनमें शामिल हैं:
Apple ने माना है कि iOS 26 से पहले के वर्ज़न चलाने वाले कुछ खास यूज़र्स को टारगेट किया गया हो सकता है।
हालांकि हमले “टारगेटेड” बताए जा रहे हैं, लेकिन साइबर एक्सपर्ट्स मानते हैं कि ऐसे ज़ीरो-डे बग आगे चलकर बड़े पैमाने पर फैल सकते हैं। पहले भी NSO Group जैसे स्पाइवेयर टूल्स का इस्तेमाल पत्रकारों, एक्टिविस्ट्स और वकीलों के खिलाफ हो चुका है। यानी खतरा सीमित लोगों तक ही रहे, इसकी कोई गारंटी नहीं होती।
दोनों कंपनियों का एक ही समय पर इमरजेंसी अपडेट जारी करना इस बात का संकेत है कि मामला बेहद गंभीर था। ज़ीरो-डे बग बहुत कम मिलते हैं और बेहद महंगे होते हैं, इसलिए इनका इस्तेमाल अक्सर हाई-प्रोफाइल जासूसी ऑपरेशन में किया जाता है।
क्या आपका फोन पहले ही निशाने पर आ चुका था और आपको पता भी नहीं चला? यही वजह है कि Apple और Google बार-बार कह रहे हैं-अपडेट अभी करें, बाद में नहीं।