
Aravalli Hills Row: देश की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली पहाड़ियों को लेकर चल रहे विवाद पर अब सुप्रीम कोर्ट ने खुद संज्ञान (Suo Motu) ले लिया है। अदालत इस मामले की सुनवाई सोमवार को करेगी। यह मामला अरावली पहाड़ियों की परिभाषा, खनन पर रोक और पर्यावरण सुरक्षा से जुड़ा हुआ है, जिसे बेहद अहम माना जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की वेकेशन बेंच इस केस को सुनेगी, जिसकी अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत करेंगे। उनके साथ जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी पीठ में शामिल होंगे। आइए जानते हैं इस केस के 5 बड़े फैक्ट्स और यह मामला इतना अहम क्यों है?
अरावली पहाड़ियां केवल चट्टानों का समूह नहीं हैं, बल्कि ये रेगिस्तान के फैलाव को रोकने वाली ग्रीन बैरियर हैं। यह जैव विविधता (Biodiversity) का बड़ा केंद्र हैं। भूजल संरक्षण और जलवायु संतुलन में अहम भूमिका निभाती हैं। इसी वजह से इन पहाड़ियों में खनन और निर्माण गतिविधियों को लेकर लंबे समय से विवाद चलता आ रहा है।
20 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाड़ियों की एक समान और वैज्ञानिक परिभाषा को मंजूरी दी थी। इसके बाद खनन उद्योग और कुछ राज्यों में इसे लेकर सवाल उठे। बढ़ते विवाद को देखते हुए अदालत ने खुद ही इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए सुनवाई का फैसला किया।
1. चार राज्यों में नई खनन लीज पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अरावली क्षेत्र में नई खनन लीज देने पर रोक लगा दी है। यह रोक तब तक लागू रहेगी, जब तक विशेषज्ञ रिपोर्ट पूरी नहीं हो जाती।
2. पर्यावरण मंत्रालय की समिति की सिफारिशें मंजूर
अदालत ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) द्वारा गठित समिति की सिफारिशों को स्वीकार किया। इस समिति का उद्देश्य अरावली पहाड़ियों को लंबे समय तक सुरक्षित रखना है।
3. क्या है अरावली पहाड़ी और रेंज की नई परिभाषा?
समिति के अनुसार, अरावली पहाड़ी (Aravalli Hill): ऐसा कोई भी भूभाग जो तय अरावली जिलों में हो और आसपास की जमीन से कम से कम 100 मीटर ऊंचा हो।
अरावली रेंज (Aravalli Range): ऐसी दो या अधिक पहाड़ियां, जो एक-दूसरे से 500 मीटर के भीतर स्थित हों, साथ ही उनके बीच की जमीन और भू-आकृतियां भी शामिल होंगी।
4. कोर इलाकों में खनन पूरी तरह बंद
यह फैसला TN Godavarman Thirumulpad से जुड़े पर्यावरण मामले में सुनाया गया, जो सालों से चल रहा है। कोर्ट ने कहा कि कोर और इनवायोलेट (अछूते) क्षेत्रों में खनन पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। हालांकि समिति द्वारा तय सीमित परिस्थितियों में कुछ छूट दी जा सकती है।
5. सस्टेनेबल माइनिंग प्लान जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि जब तक सस्टेनेबल माइनिंग मैनेजमेंट प्लान तैयार नहीं हो जाता, तब तक कोई नई खनन लीज नहीं दी जाएगी, मौजूदा खदानें भी कड़े नियमों के तहत ही चल सकेंगी। यह प्लान भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) के जरिए तैयार किया जाएगा।