सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मुद्दे पर फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने के लिए सरकार को आदेश दिया है। मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला किया गया है। निर्मोही अखाड़े की अपील खारिज कर दी गई है।
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने रामजन्मभूमि और बाबरी मस्जिद मुद्दे पर फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने विवादित जमीन पर राम मंदिर बनाने के लिए सरकार को आदेश दिया है। मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में ही 5 एकड़ जमीन देने का फैसला किया गया है। निर्मोही अखाड़े की अपील खारिज कर दी गई है।
छुट्टी के दिन भी थी जबरदस्त भीड़
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फैसला 10.30 पर आना था। माना जा रहा था कि छुट्टी के चलते कम लोग होंगे, लेकिन छुट्टी के बावजूद दरवाजे के बाहर जबरदस्त भीड़ दिख रही थी।
रंजन गोगोई ने कहा, शांति बनाए रखें
सुबह 10.30 बजे पांच जज फैसला सुनाने के लिए बैठे। उससे पहले मुख्य न्यायधीश रंजन गोगोई ने सबसे शांति की अपील की और फैसले को पढ़ना शुरू किया।
पहले जजों ने फैसले की कॉपी पर हस्ताक्षर किए
फैसला पढ़ने से पहले सभी पांच जजों ने फैसले की कॉपी पर हस्ताक्षर करना शुरू कर दिया। यह देख लगा कि जो भी फैसला सुनाया जाने वाला है वह एकमत से आएगा।
सबसे पहले शिया सुन्नी पर फैसला
कोर्ट ने सबसे पहले शिया सुन्नी विवाद पर फैसला सुनाया। मामला था कि मस्जिद का मालिकाना हक किसका होगा। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने शिया वफ्फ बोर्ड की अर्जी खारिज कर दी और 1946 के फैसले को बरकरार रखा।
फिर सुनाया मुख्य फैसला, ये हैं उसके कुछ अंश
1- कोर्ट ने विवादित जमीन पर रामलला का मालिकाना हक बताया। कोर्ट ने यह माना कि मस्जिद के ढांचे के नीचे विशाल संरचना मिली थीं, जो गैर इस्लामिक थीं। मुस्लिम पक्ष को कहीं और 5 एकड़ जमीन दी जाए।
2- हिंदू सदियों से विवादित ढांचे की पूजा करते रहे हैं, लेकिन मुस्लिम 1856 से पहले नमाज का दावा सिद्ध नहीं कर पाए। 1856 से पहले हिंदू अंदर पूजा करते थे, मनाही करने के बाद वे चबूतरे पर पूजा करने लगे।'
3- सुप्रीम कोर्ट ने कहा, हिंदू अयोध्या को राम का जन्मस्थान मानते हैं। उनकी धार्मिक भावनाएं हैं। मुस्लिम इसे बाबरी मस्जिद बताते हैं। हिंदुओं का विश्वास है कि राम का जन्म यहां हुआ है, वह निर्विवाद है। बेंच ने कहा- निर्मोही अखाड़े का दावा केवल प्रबंधन को लेकर है।
4- 'मुस्लिम दावा करते हैं कि वो 1949 तक लगातार नमाज पढ़ते थे, लेकिन 1856-57 तक ऐसा होने का कोई सबूत नहीं मिलता। अंग्रेजों ने रेलिंग बनाई थी ताकि दोनों पक्षों को अलग रखा जा सके।
5- सबूत हैं कि अंग्रेजों के आने से पहले राम चबूतरा, सीता रसोई में हिंदू पूजा करते थे। सबूतों में यह भी दिखता है कि विवादित जगह के बाहर हिंदू पूजा करते थे।