6 दिसंबर पर 28 साल बाद आया फैसला, सभी 32 आरोपी बरी, जज ने कहा- घटना पूर्व नियोजित नहीं थी

28 साल बाद बाबरी विध्वंस केस में अहम फैसला आया है। लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने 6 दिसंबर को गिराए गए विवादित ढांचे को लेकर जज सुरेंद्र कुमार यादव ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। जज ने कहा कि घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। इस केस में आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 48 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई थी, जिसमें 16 लोगों का निधन हो चुका है।

अयोध्या. 28 साल बाद बाबरी विध्वंस केस में फैसला आ गया। लखनऊ स्थित सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज सुरेन्द्र कुमार यादव ने 6 दिसंबर को गिराए गए विवादित ढांचे के सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया। जज ने कहा, यह घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। इस केस में आडवाणी, जोशी, उमा भारती समेत 48 लोगों के खिलाफ एफआईआर हुई थी, जिसमें 16 लोगों का निधन हो चुका है। 

जज सुरेंद्र कुमार यादव ने फैसला पढ़ते हुए क्या-क्या कहा?

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1- जज ने कहा, ''ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी। घटना अचानक हुई। संगठन के नेताओं ने कई बार भीड़ को रोकने की कोशिश की।''   

2- ''वीएचपी नेता अशोक सिंघल के खिलाफ कोई सबूत नहीं हैं। फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी में जिस तरह से सबूत दिए गए हैं, उनसे कुछ साबित नहीं होता है।''

3- ''कोर्ट में टेंपर्ड सबूत पेश किए गए थे। इन सबूतों से कुछ साबित नहीं होता है।'' 

कोर्ट में क्या-क्या हुआ? पूरा फैसला यहां पढ़िए

फैसले के बाद बाहर निकले वकील ने बताया, कोर्ट ने माना की जो आरोप सीबीआई ने लगाए थे, वे सभी गलत हैं। आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि विश्व हिंदू परिषद का कोई योगदान नहीं था। कुछ अराजक तत्वों ने ढांचा गिराया था। इन लोगों ने लगातार रोकने की कोशिश की। 12 बजे तक सब स्थिति नॉर्मल थी। फिर पीछे से कुछ अराजक तत्वों ने पत्थरबाजी की। इन लोगों का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष इनवॉल्मेंट नहीं था। जांच अधिकारी साक्ष्य जमा नहीं कर पाए और जो वीडियो रिकॉर्डिंग थी, वो सभी टेंपर्ड थी। इसलिए इसे साक्ष्य के रूप में नहीं लिया जा सकता। साक्ष्य के अभाव में सभी 32 आरोपियों को बरी किया गया।

बता दें, इस दौरान कुल 351 साक्ष्य पेश किए गए, लेकिन जिरह के दौरान सभी फेल हो गए। उस भीड़ में सारे कार सेवक नहीं थे। कुछ अराजक तत्व भी थे। जिसपर आरोप लगाया गया, वो लोग मंच से लगातार प्रयास कर रहे थे किसी तरह की तोड़फोड़ न की जाए। साजिश के विषय में कोर्ट ने कहा, रामलला की मूर्तियां वहीं रखी हुई थीं। अगर पहले से कोई साजिश होती तो वहां से रामलला की मूर्ती पहले ही हटा लिया गया होता। सीबीआई का साक्ष्य कहता है कि पुजारी कहते हैं कि तीसरा गुंबद गिरने लगा तो हमने रामलला की मूर्तियों को बचा लिया।

सभी 32 आरोपी कौन-कौन थे?

बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ. राम विलास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, सतीश प्रधान, पवन कुमार पांडेय, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा, विजय बहादुर सिंह, संतोष दुबे, गांधी यादव, रामजी गुप्ता, ब्रज भूषण शरण सिंह, कमलेश त्रिपाठी, रामचंद्र खत्री, जय भगवान गोयल, ओम प्रकाश पांडेय, अमर नाथ गोयल, जयभान सिंह पवैया, महाराज स्वामी साक्षी, विनय कुमार राय, नवीन भाई शुक्ला, आरएन श्रीवास्तव, आचार्य धर्मेंद्र देव, सुधीर कुमार कक्कड़ और धर्मेंद्र सिंह गुर्जर आरोपी थे।   

6 आरोपी कोर्ट में मौजूद नहीं थे, वीडियो के जरिए फैसला सुना

कोर्ट में 6 आरोपी मौजूद नहीं थे। लालकृष्ण आडवाणी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कोर्ट का फैसला सुना। वहीं, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती, शिवसेना के पूर्व सांसद सतीश प्रधान, महंत नृत्य गोपाल दास, पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी कोर्ट नहीं पहुंचे। इनके अलावा अन्य सभी आरोपी मौजूद थे।

फैसला सुनाने वाले जज का रिटायरमेंट 

30 सितंबर को फैसला सुनाने वाले जज सुरेंद्र कुमार यादव का कार्यकाल भी खत्म हो रहा है। इस मामले पर फैसला सुनाने के साथ ही वो रिटायर हो जाएंगे। इससे पहले वो 30 सितंबर 2019 को रिटायर होने वाले थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 30 सितंबर 2020 तक सेवा विस्तार दे दिया था।

कल्याण सिंह ने हॉस्पिटल के अंदर टीवी पर सुना फैसला

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह गाजियाबाद के यशोदा अस्पताल के कोविड-19 के अपने निजी रूम में सुबह से टीवी देख रहे थे। वो 16 सितंबर से कोविड-19 के चलते कौशांबी के यशोदा अस्पताल में एडमिट हैं। अस्पताल के मुताबिक, उनकी हालत में काफी सुधार हुआ है।

फैसला सुनाने से पहले अयोध्या में हाई अलर्ट

डीआईजी दीपक कुमार ने बताया कि सीआईडी और एलआईयू की टीमें सादी वर्दी में तैनात हैं। बाहरी लोग अयोध्या में आकर माहौल न बिगाड़ने पाएं इसको लेकर खास सतर्कता बरती जा रही है। पूरे जिले में चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है। वहीं, लखनऊ में सीबीआई की विशेष अदालत के बाहर करीब 2 हजार पुलिसकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है। इसके अलावा प्रदेश के 25 संवेदनशील जिलों में सुरक्षा व्‍यवस्‍था तगड़ी कर दी गई है।

1 सितंबर को पूरी हो चुकी थी सुनवाई

बाबरी विध्वंस केस में विशेष सीबीआई (CBI) अदालत ने सभी पक्षों की दलीलें, गवाही, जिरह सुनने के बाद 1 सितंबर को मामले की सुनवाई पूरी कर ली थी। 2 सितंबर से फैसला लिखना शुरू हो गया था। इससे पहले वरिष्ठ वकील मृदल राकेश, आईबी सिंह और महिपाल अहलूवालिया ने आरोपियों की तरफ से दलीलें पेश कीं, इसके बाद सीबीआई के वकीलों ललित सिंह, आरके यादव और पी. चक्रवर्ती ने भी अपनी दलीलें रखीं।

6 दिसम्बर 1992 को दर्ज हुई थी दो एफआईआर (FIR)

बाबरी विध्वंस मामले में 6 दिसम्बर, 1992 को दो एफआईआर दर्ज हुई थी। इस मामले को मुकदमा संख्या 197/92 को प्रियवदन नाथ शुक्ल ने शाम 5:15 पर बाबरी मस्जिद ढहाने के मामले में तमाम अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 395, 397, 332, 337, 338, 295, 297 और 153ए में मुकदमा दर्ज किया गया था।

दूसरी एफआईआर मुकदमा संख्या 198/92 को चौकी इंचार्ज गंगा प्रसाद तिवारी की तरफ से आठ नामजद लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया, जिसमें भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, तत्कालीन सांसद और बजरंग दल प्रमुख विनय कटियार, तत्कालीन वीएचपी महासचिव अशोक सिंघल, साध्वी ऋतंभरा, विष्णु हरि डालमिया और गिरिराज किशोर शामिल थे। इनके खिलाफ धारा 153ए, 153बी, 505 में मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में जनवरी 1993 में 47 अन्य मुकदमे दर्ज कराए गए, जिनमें पत्रकारों से मारपीट और लूटपाट जैसे आरोप थे।

 

आरोपियों पर 120बी सहित ये धाराएं

सीबीआई (CBI) की विशेष अदालत ने बाबरी विध्वंस के आरोपी लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा व विष्णु हरि डालमिया पर धारा 120 बी यानी आपराधिक साजिश रचने का आरोप लगाया है। इन सबके खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 120 बी, 147, 149, 153ए, 153बी और 505 (1) के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया गया। 

महंत नृत्य गोपाल दास, महंत राम विलास वेदांती, बैकुंठ लाल शर्मा उर्फ प्रेमजी, चंपत राय बंसल, धर्मदास और डॉ. सतीश प्रधान पर भी आईपीसी की धारा 147, 149, 153ए, 153बी, 295, 295ए व 505 (1)बी के साथ ही धारा 120 बी के तहत आरोप तय हुए। कल्याण सिंह के राज्यपाल पद से हटने के बाद 17 सितंबर, 2019 को उन पर भी उपरोक्त सभी धाराएं लगाई गईं।  इस तरह 49 में से कुल 32 अभियुक्तों के मुकदमे की कार्यवाही शुरू हुई, शेष 17 अभियुक्तों की मौत हो चुकी है।

इस केस में 351 लोगों ने दी थी गवाही

28 साल तक चले इस मामले की सुनवाई में 351 लोगों ने गवाही दी। 600 दस्तावेज पेश किए गए। इस केस के 17 आरोपियों की मौत मुकदमे की सुनवाई के दौरान ही हो गई। बुधवार को सीबीआई के स्पेशल जज सुरेंद्र कुमार यादव बाकी बचे 32 लोगों पर अपना फैसला सुनाया।

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