
कोलकाता। मुर्शिदाबाद के बेलडांगा में 6 दिसंबर को होने वाला सस्पेंडेड TMC विधायक हुमायूं कबीर का “बाबरी मस्जिद शिलान्यास कार्यक्रम” अचानक एक बड़े विवाद में बदल गया है। जिस दिन देश में 1992 में अयोध्या विध्वंस की बरसी मनाई जाती है, उसी दिन मस्जिद शिलान्यास इवेंट की घोषणा ने प्रशासन और खुफिया एजेंसियों की चिंता और बढ़ा दी है। इसी वजह से कलकत्ता हाई कोर्ट ने बंगाल सरकार को साफ निर्देश दिया है कि कार्यक्रम से पहले किसी भी तरह की सांप्रदायिक अशांति, भय, या लॉ-एंड-ऑर्डर बिगड़ने की आशंका को कड़े कदमों से रोका जाए।
कोलकाता हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह हर हाल में शांति बनाए रखे और नागरिकों की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। यह आदेश इसलिए भी अहम है क्योंकि मुर्शिदाबाद में पिछले आठ महीनों में वक्फ (अमेंडमेंट) एक्ट 2025 को लेकर कई बार हिंसा फैल चुकी है।
इस कार्यक्रम को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। कबीर ने दावा किया है कि यह पूरी तरह धार्मिक आयोजन है-यहां कुरान पढ़ी जाएगी, कोई राजनीतिक भाषण नहीं होगा और न ही कोई पार्टी का झंडा लगेगा। लेकिन विरोधी दलों का कहना है कि यह सिर्फ चुनावी साल में ध्रुवीकरण बढ़ाने की कोशिश है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इतने विवादित दिन पर ऐसे कार्यक्रम का आयोजन अपने आप में कई संदेश देता है। लोगों के मन में यह सवाल भी उठ रहा है कि क्या यह सिर्फ धार्मिक कार्यक्रम है या इसके पीछे कोई गहरी राजनीतिक कहानी छुपी है?
विधायक कबीर ने बताया कि कार्यक्रम के लिए 30,000 से 40,000 बिरयानी पैकेट तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं। सऊदी अरब और भारत के अलग-अलग धर्मगुरुओं, संगठनों और इमाम समूहों के शामिल होने की भी खबरें हैं। इतने बड़े स्तर की तैयारियों ने स्थानीय प्रशासन की परेशानी और बढ़ा दी है। लाखों रुपए की लागत, हजारों लोगों की भीड़, और 6 दिसंबर जैसा संवेदनशील दिन-इन सबने इस आयोजन को और ज्यादा रहस्यमय बना दिया है।
राज्य सरकार ने अदालत को बताया है कि इलाके में
विधायक को पुलिस ने इवेंट से एक दिन पहले कई घंटों पूछताछ के लिए बुलाया। इतनी भारी सुरक्षा तैनाती ने लोगों में यह सवाल पैदा कर दिया है कि आखिर प्रशासन को इतना बड़ा खतरा क्यों लग रहा है? क्या भीड़ नियंत्रण की समस्या है या कहीं कोई और वजह?
TMC ने सीधे-सीधे आरोप लगाया है कि विपक्ष इस पूरे मामले का इस्तेमाल चुनावी साल में पार्टी की छवि खराब करने के लिए कर रहा है। दूसरी ओर, MLA कबीर अपने कार्यक्रम पर अड़े हुए हैं और दावा कर रहे हैं कि यह किसी भी तरह से कानून का उल्लंघन नहीं करता। लेकिन एक बात साफ है कि 6 दिसंबर का दिन बंगाल के लिए बेहद संवेदनशील होने वाला है। इस कार्यक्रम का असर सिर्फ मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि राज्य की राजनीति पर भी इसका बड़ा प्रभाव पड़ सकता है।