
Karnataka shrine case: बेंगलुरु की एक महिला सुजाता भट्ट ने पहले आरोप लगाया था कि उसकी बेटी 2003 में कर्नाटक के एक धर्मस्थल गई थी। इसके बाद लापता हो गई। इस आरोप ने सामूहिक कब्रों की कहानी को जन्म दिया। मामले ने बड़ा तूल पकड़ा। अब ऐसी सच्चाई सामने आई है जिससे मामला ही पलट गया है। सुजाता भट्ट की कोई बेटी ही नहीं है जो गायब हो गए। उन्होंने स्वीकार किया है कि फर्जी आरोप लगाए। अपने मन से कहानी गढ़ी। उनकी अनन्या भट्ट नाम की कोई बेटी थी ही नहीं।
HT की रिपोर्ट के अनुसार सुजाता भट्ट ने कहा, "यह सच नहीं है। अनन्या भट्ट नाम की मेरी कोई बेटी नहीं है।" शुक्रवार को एक नया मोड़ तब आया जब सुजाता भट्ट ने अपने दावे वापस ले लिए और स्वीकार किया कि उसने मनगढ़ंत बातें कहीं। एक यूट्यूब चैनल से बात करते हुए, सुजाता ने बताया कि उन्होंने कर्नाटक के एक धार्मिक स्थान से जुड़े आरोप क्यों लगाए थे। सुजाता ने कहा,
कुछ लोगों ने मुझे ऐसा कहने के लिए कहा था। संपत्ति के मुद्दे के कारण मुझे ऐसा करने के लिए कहा गया था। इसके चलते मैंने ऐसा किया। मैं कर्नाटक और पूरे देश की जनता से विनती करती हूं कि मुझे माफ कर दें। मैंने ऐसा पैसे कमाने के लिए नहीं किया। मुझे पैसों की जरूरत नहीं।
बता दें कि पहले सुजाता भट्ट ने आरोप लगाया था कि उसकी 18 साल की बेटी (मेडिकल छात्रा) अनन्या मई 2003 में कर्नाटक के एक धार्मिक स्थल गई थी। इसके बाद वह लापता हो गई। अनन्या के दोस्त खरीदारी करने गए थे। वह मंदिर के पास रुकी थी, लेकिन जब उसके दोस्त आए तो वह वहां नहीं थी।
सुजाता ने पुलिस को बताया कि उसकी बेटी को अगवा कर लिया गया था। उसे बांधकर पीटा गया। धार्मिक स्थल पर फिर कभी नहीं आने की धमकी दी गई। पिटाई के चलते घायल होने पर उसे बेंगलुरू के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। वह कोमा में चली गई थी।