Big Decision, सुप्रीम कोर्ट ने कहा-लड़कियां दे सकती हैं NDA का एग्जाम, एडमिशन पर फैसला बाद में होगा

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक Big Decision दिया है। SC ने कहा है कि लड़कियां NDA के एग्जाम में शामिल हो सकती हैं। एडमिशन पर बाद में फैसला होगा।

नई दिल्ली. एनडीए(National Defence Academy) के जरिये सेना में जाकर अपनी सेवाएं देने की इच्छुक लड़कियों के लिए सुप्रीम कोर्ट ने खुश खबरी दी है। अब लड़कियां NDA के एग्जाम में शामिल हो सकेंगी। बुधवार को इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। हालांकि एडमिशन को लेकर बाद में फैसला आएगा।

5 सितंबर को होना है एग्जाम
NDA में जाकर पढ़ाई करने की इच्छुक लड़कियों के लिए सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ऐतिहासिक है। क्योंकि अभी तक लड़कियों को इसके एग्जाम में बैठने तक की अनुमति नहीं थी। NDA का एग्जाम 5 सितंबर को होना है। कोर्ट ने कहा कि NDA में दाखिले पर फैसला बाद में होगा। इस संबंध में एडवोकेट कुश कालरा ने एक याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया कि लड़कियों को ग्रेजुएशन के बाद ही सेना में आने की अनुमति होती है। इसकी न्यूनतम आयु भी 21 साल है। जबकि लड़के 12वीं के बाद ही NDA का एग्जाम दे सकते हैं। इससे शुरुआत से ही लड़कियों के लड़कों की तुलना में बेहतर पोस्ट पाने की उम्मीदें कम हो जाती हैं। यह समानता के अधिकार का हनन है। कोर्ट ने इस संबंध में केंद्र सरकार से उसका जवाब मांगा था। इस मामले की सुनवाई जस्टिस संजय किशन कौल और हृषिकेश रॉय की खंडपीठ ने की।

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स्थायी कमिशन वाले फैसले का दिया तर्क
याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पिछले साल आए महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमिशन देने के फैसले का तर्क दिया। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने महिला सैन्य अधिकारियों को पुरुषों के बराबर स्थायी कमिशन देने का अधिकार दिया था।

क्या है NDA एग्जाम
NDA एक राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा है। यह आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में एडमिशन लेने के लिए होती है। यह एग्जाम हर साल 2 बार होता है। एग्जाम 2 फेज-लिखित और एसएसबी इंटरव्यू के जरिये होता है। हर साल करीब 4 लाख लड़के एनडीए के लिए बैठते हैं। इनमें से करीब 6000 को एसएसबी इंटरव्यू के लिए बुलाया जाता है। अब लड़कियों को अनुमति मिलने से यह संख्या और बढ़ जाएगी। यह एक ऐतिहासिक फैसला है।

यह भी जानें
सेना में महिला अधिकारियों की भर्ती सबसे पहले 1992 में हुई थी। तब उन्हें सिर्फ शॉर्ट सर्विस कमिशन के अंतर्गत कुछ गिनी-चुनी ब्रांच में ही कार्य करने के लिए रखा जाता था। यानी वे सिर्फ लेफ्टिनेंट कर्नल की पोस्ट तक ही पहुंच सकती थीं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब महिलाएं स्थायी कमिशन की हकदार हैं।

क्या है स्थाई कमीशन?
शॉर्ट सर्विस कमीशन में महिलाएं 14 साल तक सर्विस के बाद रिटायर हो जाती हैं। लेकिन उन्हें स्थाई कमीशन मिलने के बाद महिला अफसर आगे भी अपनी सर्विस जारी रख सकेंगी और रैंक के मुताबिक ही उन्हें रिटायरमेंट मिलेगा। इसके अलावा सेना की सभी 10 स्ट्रीम- आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प, इंटेलीजेंस, जज, एडवोकेट जनरल और एजुकेशनल कॉर्प में महिलाओं को परमानेंट कमीशन मिल पाएगा।

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