
नई दिल्ली। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल गर्म हो चुका है। अब मैदान में उतरने जा रहे हैं खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जो 12 मेगा रैलियों के ज़रिए एनडीए के प्रचार अभियान की अगुवाई करेंगे। भाजपा का दावा है कि यह रैलियां बिहार की राजनीति की दिशा तय करेंगी। एनडीए इस बार किसी भी कसर को बाकी नहीं छोड़ना चाहता, और यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तक — सभी बड़े नेता मैदान में उतरने वाले हैं।
सूत्रों के मुताबिक, मोदी की मेगा रैलियां गया, भागलपुर, पटना, मुज़फ़्फ़रपुर, दरभंगा, सासाराम और पूर्णिया जैसे बड़े शहरों में होंगी। हर रैली का फोकस क्षेत्रीय समीकरणों पर है — यानी एनडीए की कोशिश है कि हर जातीय और भौगोलिक क्षेत्र को कवर किया जाए। भाजपा का मानना है कि मोदी की रैलियां न सिर्फ मतदाताओं को उत्साहित करेंगी बल्कि एनडीए के लिए जनसमर्थन की लहर भी बनाएंगी।
एनडीए के भीतर सीट बंटवारे और प्रचार रणनीति को लेकर भी बातचीत तेज़ है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जेडीयू को लेकर यह तय हो चुका है कि वह एनडीए के प्रमुख चेहरे में से एक होंगे। हालांकि, अंदरखाने यह भी चर्चा है कि कुछ सीटों पर जेडीयू और भाजपा के कार्यकर्ताओं में मतभेद सामने आ रहे हैं। एनडीए की रणनीति साफ है — “मोदी चेहरा, नीतीश भरोसा और अमित शाह की रणनीति” — इसी फार्मूले पर पूरा चुनाव अभियान चलेगा।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी की रैलियां विपक्षी गठबंधन के लिए चुनौती बन सकती हैं। राजद और कांग्रेस की ओर से पहले ही कहा जा चुका है कि भाजपा और जेडीयू के बीच "जबरन तालमेल" ज्यादा दिन नहीं टिकेगा। लेकिन भाजपा का दावा है कि “मोदी की लोकप्रियता और केंद्र सरकार की योजनाएं बिहार की जनता के दिल में सीधी जगह बनाएंगी।”
चुनाव से पहले एनडीए जिस तरह से एकजुट होकर मैदान में उतर रहा है, उससे राजनीतिक गलियारों में सवाल उठ रहे हैं — क्या पीएम मोदी की ये 12 मेगा रैलियां बिहार में एनडीए के लिए ‘सत्ता की बारह चाबियां’ साबित होंगी? या विपक्ष नई रणनीति से मुकाबला करेगा? राजनीति के इस समर में अब सबकी निगाहें प्रधानमंत्री मोदी की पहली रैली पर टिकी हैं।