बाइक बोट घोटाला : ED ने कंपनी के कई ठिकानों पर मारे छापे, 2.5 लाख निवेशकों से है ठगी का आरोप

 बाइक बोट’ मामले के संबंध में धन शोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत दिल्ली, नोएडा तथा लखनऊ में करीब 12 परिसरों पर तलाशी ली जा रही है। उन्होंने बताया कि इन छापों का मकसद मामले में जांच को आगे बढ़ाने के लिए अतिरिक्त सबूत और दस्तावेज एकत्रित करना है। ग्रेटर नोएडा स्थित बाइक बॉट टैक्सी सेवा पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा समेत कई राज्यों में 2.25 लाख निवेशकों से 3,000 से 4,000 रुपये की ठगी करने का आरोप है।

Asianet News Hindi | Published : Feb 22, 2020 10:48 AM IST / Updated: Feb 22 2020, 04:22 PM IST

नई दिल्ली. प्रवर्तन निदेशालय ने एक पोंजी घोटाले में कथित तौर पर शामिल नोएडा की एक कंपनी के खिलाफ धन शोधन की अपनी जांच के संबंध में दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश में करीब 12 स्थानों पर शनिवार को छापे मारे।

कई राज्यों के निवेशकों से ठगी का है आरोप

अधिकारियों ने बताया कि ‘बाइक बोट’ मामले के संबंध में धन शोधन निरोधक कानून (पीएमएलए) के तहत दिल्ली, नोएडा तथा लखनऊ में करीब 12 परिसरों पर तलाशी ली जा रही है। उन्होंने बताया कि इन छापों का मकसद मामले में जांच को आगे बढ़ाने के लिए अतिरिक्त सबूत और दस्तावेज एकत्रित करना है। ग्रेटर नोएडा स्थित बाइक बॉट टैक्सी सेवा पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान तथा हरियाणा समेत कई राज्यों में 2.25 लाख निवेशकों से 3,000 से 4,000 रुपये की ठगी करने का आरोप है।

कंपनी ने एक साल में निवेशकों को दोगुना पैसा देने का लालाच दिया था

नोएडा पुलिस ने बाइक बॉट कंपनी के प्रमुख संजय भाटी समेत कंपनी के 12 से अधिक अधिकारियों को जेल भेज दिया है। मामले में वांछित कुछ अन्य लोग फरार हैं। ग्रेटर नोएडा में गर्वित इनोवेटिव प्रोमोटर्स लिमिटेड (जीआईपीएल) कंपनी बहु स्तरीय मार्केटिंग योजना ‘‘बाइक बॉट’’ लेकर आई तथा निवेशकों को एक साल में दोगुना पैसा देने का लालच दिया।

पुलिस के अनुसार, उन्होंने मोटरसाइकिल टैक्सी के लिए 62,100 रुपये का निवेश मांगा और महज एक साल में दोगुनी रकम देने के अलावा हर महीने मुनाफा देने का वादा किया लेकिन इसे पूरा नहीं कर पाई। बाइक-टैक्सियां पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, हापुड़ और बुलंदशहर जिलों में चल रही है जबकि राजस्थान, मध्य प्रदेश, हरियाणा जैसे राज्यों में भी इसका नेटवर्क है। कंपनी ने इस योजना का प्रचार करने के लिए इंटरनेट, सोशल मीडिया, पैम्फ्लेट्स और प्रेरकों का इस्तेमाल किया था।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)
 

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