ब्रह्मोस जासूसी केस: साइंटिस्ट निशांत अग्रवाल को बड़ी राहत, कोर्ट ने रद्द किए पाकिस्तान को 'सीक्रेट देने' के सभी आरोप

Published : Dec 01, 2025, 09:45 PM ISTUpdated : Dec 01, 2025, 10:05 PM IST
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सार

निशांत अग्रवाल, ब्रह्मोस वैज्ञानिक को पाकिस्तान को मिसाइल की सीक्रेट जानकारी लीक के आरोप में हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। बता दें कि लोअर कोर्ट  ने उन्हें इस केस में 14 साल कैद की सजा सुनाई थी। हालांकि, अब उनकी रिहाई हो सकेगी। 

नागपुर/नई दिल्ली। पाकिस्तान को ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट की खुफिया जानकारी देने का आरोप झेल रहे साइंटिस्ट निशांत अग्रवाल को हाई कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड में काम करने वाले निशांत को 2018 में पाकिस्तान के इंटेलिजेंस ऑपरेटिव्स को सेंसिटिव डिफेंस सीक्रेट्स देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उन्हें इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट और ऑफिशियल सीक्रेट्स एक्ट के तहत लगे बड़े आरोपों से बरी कर दिया गया है।

लोअर कोर्ट ने सुनाई थी 14 साल की सजा

हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति प्रवीण पाटिल की खंडपीठ ने एक आदेश देते हुए निशांत अग्रवाल को बड़ी राहत दी है। इससे पहले लोअर कोर्ट ने निशांत अग्रवाल को IT सिस्टम का इस्तेमाल करके देश के दुश्मनों को क्लासिफाइड जानकारी भेजने के आरोप में 14 साल जेल की सजा सुनाई थी। निशांत इस केस में 3 साल की सजा काट चुके हैं, लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब उनकी रिहाई संभव हो सकेगी।

क्या है पूरा मामला?

  •  अक्टूबर 2018 में मिलिट्री इंटेलिजेंस (MI) और उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के एंटी-टेररिज्म स्क्वाड (ATS) के जॉइंट ऑपरेशन में गिरफ्तार हुए निशांत अग्रवाल BAPL के टेक्निकल रिसर्च सेक्शन में काम करते थे।
  •  BAPL एक इंडो-रशियन जॉइंट वेंचर है, जो ब्रह्मोस मिसाइल बनाता है। जांच में पता चला कि ब्रह्मोस मिसाइल से जुड़े कुछ जरूरी डॉक्यूमेंट्स उनके पर्सनल कंप्यूटर पर मिले, जो BAPL के सिक्योरिटी नियमों का उल्लंघन था।
  •  निशांत पर आरोप था कि पाकिस्तान खुफिया एजेंटों ने उन्हें हनीट्रैप के जरिये फंसाया। लिंक्डइन पर उनसे फर्जी महिला प्रोफाइल वाली सेजल शर्मा ने कॉन्टैक्ट किया। सेजल की बातों में आकर निशांत ने 2017 में उसके भेजे गए लिंक से अपने लैपटॉप पर 3 ऐप इंस्टॉल किए थे, जो असल में वायरस मैलवेयर थे।
  •  ये ऐप निशांत के सिस्टम से डेटा चुराकर पाकिस्तान में बैठे लोगों तक पहुंचा रहे थे। बाद में पता चला कि सेजल शर्मा के नाम से बनी प्रोफाइल पाकिस्तानी जासूसी नेटवर्क से जुड़ी थी। इसका काम भारतीय वैज्ञानिकों को हनीट्रैप में फंसाकर खुफिया जानकारी, फोटो, डेटा निकालना था।
  •  हाईकोर्ट ने माना है कि सीक्रेट जानकारी निशांत अग्रवाल के पर्सनल कम्प्यूटर पर थी और उन्होंने जानबूझकर या देशद्रोह के मकसद से कोई सीक्रेट जानकारी पाकिस्तान को लीक नहीं की है। इसी आधार पर उनके खिलाफ लगे सभी आरोपों को रद्द कर दिया गया, सिवा इसके कि उन्होंने सीक्रेट डॉक्यूमेंट्स अपनी पर्सनल डिवाइस पर रखे। इसके लिए उन्हें 3 साल की सजा हुई, जिसे वो पूरा कर चुके हैं।

कौन हैं निशांत अग्रवाल?

निशांत अग्रवाल ने IIT रोपड़ से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री ली है। इसके बाद वह ब्रह्मोस एयरोस्पेस लिमिटेड में बतौर साइंटिस्ट काम करने लगे। बाद में वो ब्रह्मोस मिसाइल प्रोजेक्ट पर काम करने वाली टीम के साथ जुड़ गए।

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