गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि 'किसी भी क्रिमिनल लॉ के तहत किसी घर पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान नहीं है, भले ही कोई एजेंसी 'बेहद गंभीर मामले' की जांच ही क्यों न कर रही हो। चीफ जस्टिस आरएम छाया ने एक आरोपी के घर को गिराने के संबंध में यह टिप्पणी की।
गुवाहाटी(Guwahat). गुवाहाटी हाईकोर्ट ने इस बात पर जोर दिया है कि 'किसी भी क्रिमिनल लॉ के तहत किसी घर पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान नहीं है, भले ही कोई एजेंसी 'बेहद गंभीर मामले' की जांच ही क्यों न कर रही हो। चीफ जस्टिस आरएम छाया ने गुरुवार(17 नवंबर) को असम के नागांव जिले में बटाद्रावा पुलिस थाना आगजनी मामले में एक आरोपी के घर को गिराने के संबंध में हाईकोर्ट द्वारा लिए गए एक मामले की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
एक स्थानीय मछली व्यापारी सफीकुल इस्लाम (39) की पुलिस हिरासत में मौत के बाद गुस्साई भीड़ ने 21 मई को बटाद्रवा पुलिस स्टेशन में आग लगा दी थी। पुलिस ने सफीकुल को पुलिस स्टेशन में आग लगाने की घटना से एक दिन पहले उठा लिया था। इसके बाद जिला अधिकारियों ने कथित तौर पर घरों के अंदर छिपे हथियारों और ड्रग्स की तलाश में इस्लाम सहित कम से कम छह घरों पर बुलडोजर चलवा दिया था। जस्टिस छाया ने कहा, "यहां तक कि अगर किसी एजेंसी द्वारा बहुत गंभीर मामले की जांच की जा रही है, तो किसी भी क्रिमिनल लॉ के तहत घर पर बुलडोजर चलाने का प्रावधान नहीं है।"
जस्टिस ने इस बात पर जोर देते हुए कि एक घर की तलाशी लेने के लिए भी अनुमति की आवश्यकता होती है, "कल अगर आपको कुछ चाहिए, तो क्या आप मेरे कोर्ट रूम को खोद देंगे?" चीफ जस्टिस ने कहा, "आप यह कैसे कर सकते हैं? आप कोई भी हो सकते हैं। जांच की आड़ में कोई भी सुरक्षित नहीं है, अगर आप किसी का घर गिराते हैं।" जस्टिस ने कहा कि हम एक डेमोक्रेटिक सेटअप में हैं। इसके लिए सर्च वारंट की आवश्यकता है।"
जस्टिस ने हल्के-फुल्के अंदजा में कहा कि लार्ड मैकाले भी इसके बारे में नहीं सोच सकते थे, जबकि वह क्रिमिनल लॉ के दिग्गज हैं। दरअसल, सरकारी एफिडिविट में बताया था कि एक घर को गिराकर एक 0.9 मिमी पिस्तौल बरामद किया गया था। इस पर चीफ जस्टिस ने आशंका जताई कि यह भी प्लांटेड हो सकता था। उन्होंने कहा कि घरों पर इस तरह के बुलडोजर चलाने की घटनाएं फिल्मों में होती हैं और उनमें भी सर्च वारंट एक्ट से पहले दिखाया जाता है। चीफ जस्टिस ने घरों पर बुलडोजर चलाने की घटना को 'गैंगवॉर' के कृत्य के बराबर बताया और गृह विभाग को अपनी जांच करने के बेहतर तरीके खोजने के लिए कहा।
उन्होंने कहा, इसका एक ही उद्देश्य है कि 'कानून और व्यवस्था' शब्दों का एक साथ उपयोग क्यों किया जाता है? यह वह तरीका नहीं है, जिससे कानून और व्यवस्था को नियंत्रित किया जाता है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 12 दिसंबर को रखी है।