बुर्के की इस तस्वीर से पाकिस्तान की हो रही फजीहत, ट्विटर यूजर्स ने लिखा, ये क्या कर रहे हैं इमरान

पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के एक स्थानीय नेता ने स्कूली छात्राओं को बुर्के बांटे। केंद्रीय परिषद पालो धेरी चीना ग्राम पार्षद मुजफ्फर शाह और पीटीआई के नेता ने 100,000 रुपए के बुर्के खरीदे और सरकारी बालिका मध्य विद्यालय चीना के छात्रों को बांटे।

Asianet News Hindi | Published : Oct 7, 2019 3:08 PM IST

पेशावर. पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के एक स्थानीय नेता ने स्कूली छात्राओं को बुर्के बांटे। केंद्रीय परिषद पालो धेरी चीना ग्राम पार्षद मुजफ्फर शाह और पीटीआई के नेता ने 100,000 रुपए के बुर्के खरीदे और सरकारी बालिका मध्य विद्यालय चीना के छात्रों को बांटे। द एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक मुजफ्फर शाह ने कहा, "मैंने छात्रों के लिए चादरों को खरीदने का फैसला किया था, लेकिन स्थानीय नेताओं के परामर्श के बाद मैंने बुर्का खरीदा।" सोशल मीडिया पर बुर्का पहनीं छात्राओं की तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। एक ट्विटर यूजर ने लिखा कि आखिर यह क्या कर रहे हैं इमरान खान। 

"मैंने सोचा, लड़कियों के पास नए बुर्के होने चाहिए" 
एक अधिकारी मुजफ्फर शाह के हवाले ने एएफपी ने कहा, "लगभग 90 प्रतिशत लड़कियां पहले ही बुर्का पहनती हैं, इसलिए मैंने सोचा कि इन गरीब लड़कियों के पास नए बुर्के होने चाहिए," उन्होंने कहा कि पहले स्कूल के सोलर पैनल को खरीदने, वॉशरूम बनाने और खरीदने के लिए पैसे दिए। 

ट्विटर यूजर्स ने ऐसे निकाला गुस्सा

- बुर्का पहनी छात्राओं की फोटो पर ट्विटर यूजर्स जमकर भड़ास निकाल रहे हैं। फातिमा वली नामक एक यूजर ने ट्वीट किया, "शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार पर ध्यान देने के बजाय, उत्पीड़न और बलात्कार के लिए सख्त दंड लागू करने के बजाय बुर्के खरीदे गए। 

- देश छोड़कर न्यूयॉर्क भागने वाली पाकिस्तानी एक्टिविस्ट गुलालाई इस्माइल ने नाराजगी जताई। उन्होंने ट्वीट किया, "मुझे खुशी है कि समय बदल रहा है और अब अधिक से अधिक लोग सुरक्षा की आड़ में महिलाओं पर किए जा रहे व्यवहार के खिलाफ खड़े हैं।

- शिक्षा विभाग के प्रांतीय मंत्री जिया उल्लाह बंगश ने कहा कि इस मामले में एक जांच शुरू की गई है। उन्होंने कहा ड्रेस कोड में सफेद पतलून और एक ढीला नीला अंगरखा शामिल है, हालांकि यह लड़कियों पर निर्भर है कि वे बुर्का पहनना चाहती हैं या नहीं। हम उन्हें मजबूर नहीं कर सकते।
 

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