माणिक साहा मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं, फैसला रविवार को...आजम खान-अखिलेश यादव का भी लिटमस टेस्ट

Published : Jun 25, 2022, 08:58 PM ISTUpdated : Jun 26, 2022, 01:12 AM IST
माणिक साहा मुख्यमंत्री रहेंगे या नहीं, फैसला रविवार को...आजम खान-अखिलेश यादव का भी लिटमस टेस्ट

सार

तीन लोकसभा सीट्स और सात विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के जीत हार का भी फैसला आएगा। बीते 23 जून को उपचुनाव हुए थे। रविवार की सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू होगी। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होगी और इसके बाद ईवीएम के मतों की गिनती होगी।

नई दिल्ली। त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा के भाग्य का फैसला रविवार को होगा। साहा के अलावा तीन लोकसभा सीट्स और सात विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के जीत हार का भी फैसला आएगा। बीते 23 जून को उपचुनाव हुए थे। रविवार की सुबह आठ बजे से मतगणना शुरू होगी। सबसे पहले पोस्टल बैलेट की गिनती होगी और इसके बाद ईवीएम के मतों की गिनती होगी।

सबसे अधिक त्रिपुरा की सीटों पर उपचुनाव

त्रिपुरा में सबसे ज्यादा चार सीटें- अगरतला, जुबराजनगर, सूरमा और टाउन बारदोवाली में उपचुनाव हो रहा है। 23 जून को वोटों की गिनती हुई और रविवार को परिणाम आएंगे। बारदोवाली टाउन से मुख्यमंत्री माणिक साहा चुनाव लड़ रहे हैं। साहा को मुख्यमंत्री बने रहने के लिए यह चुनाव जीतना होगा। वह राज्यसभा सदस्य हैं, जिन्होंने पिछले महीने तत्कालीन मुख्यमंत्री बिप्लब देब के अचानक इस्तीफे के बाद शपथ ली है। त्रिपुरा में गुरुवार को सबसे ज्यादा 76.62 फीसदी मतदान हुआ।

तीन लोकसभा सीटों पर दिग्गजों की इज्जत दांव पर

लोकसभा उपचुनाव उत्तर प्रदेश के रामपुर और आजमगढ़ निर्वाचन क्षेत्रों और पंजाब में संगरूर सीट पर हुए हैं। रामपुर, पूर्व मंत्री आजम खान का गढ़ है। इस क्षेत्र की दो विधानसभा सीटों पर खान परिवार को कब्जा है। इस बार रामपुर लोकसभा सीट से आजम खान के खास असीम रजा चुनाव मैदान में हैं। आजमगढ़ लोकसभा सीट पूर्व सीएम अखिलेश यादव के इस्तीफा से खाली हुई है। अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव चुनाव मैदान में हैं। योगी-मोदी लहर में भी आजमगढ़ में समाजवादी परचम लहराता रहा है। यहां की सभी विधानसभा सीटों पर सपा का कब्जा है। रमाकांत यादव, दुर्गा यादव जैसे दिग्गजों के इस गढ़ में इस बार सपा मुखिया ने पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव को उतारा है। धर्मेंद्र के खिलाफ बीजेपी ने भोजपुरी अभिनेता दिनेश लाल यादव निरहुआ को चुनाव मैदान में उतारा है। निरहुआ पिछली बार अखिलेश यादव से चुनाव हार गए थे। बसपा ने गुड्डू जमाली को मैदान में उतारकर मुस्लिक कार्ड खेला है। 

पंजाब के संगरूर सीट के अलावा इन सीटों पर भी परिणाम

जिन अन्य सीटों पर विधानसभा उपचुनाव हुए उनमें दिल्ली के राजिंदर नगर, झारखंड के रांची जिले के मंदार और आंध्र प्रदेश के आत्मकुरु है। इस साल के शुरू में राज्य विधानसभा चुनावों में विधायक के रूप में चुने जाने के बाद मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपने संगरूर लोकसभा क्षेत्र से इस्तीफा दे दिया था। मान के इस्तीफा के बाद उपचुनाव हो रहा है। मान ने 2014 और 2019 के संसदीय चुनावों में संगरूर सीट जीती थी। पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी (आप) विधानसभा चुनावों में अपने प्रभावशाली प्रदर्शन के बाद यह पहला चुनाव है। उपचुनाव ऐसे समय में हुए हैं जब आप राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति और गायक सिद्धू मूसेवाला की हत्या को लेकर विपक्ष के विरोध का सामना कर रही है। आप ने पार्टी के संगरूर जिला प्रभारी गुरमेल सिंह को मैदान में उतारा है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के पूर्व धूरी विधायक दलवीर सिंह गोल्डी, जबकि भाजपा उम्मीदवार बरनाला के पूर्व विधायक केवल ढिल्लों हैं, जो 4 जून को पार्टी में शामिल हुए थे। अकाली दल ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड के दोषी बलवंत सिंह राजोआना की बहन कमलदीप कौर को मैदान में उतारा है। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) के प्रमुख सिमरनजीत सिंह मान भी मैदान में हैं।

झारखंड में भ्रष्टाचार के एक मामले में दोषी ठहराए जाने के मद्देनजर एक विधायक के रूप में बंधु तिर्की की अयोग्यता के बाद उपचुनाव हो रहे हैं। झारखंड में सीबीआई की विशेष अदालत ने 28 मार्च को तिर्की को तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। कांग्रेस ने उनकी बेटी शिल्पी नेहा तिर्की को सत्तारूढ़ झामुमो के नेतृत्व वाले गठबंधन के आम उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारा है, जबकि भाजपा ने पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर को सीट से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस और राजद झारखंड में सत्तारूढ़ गठबंधन के दो अन्य घटक हैं। असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) द्वारा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार देव कुमार धन भी मैदान में हैं।

दिल्ली के राजिंदर नगर में, AAP के दुर्गेश पाठक का भाजपा के राजेश भाटिया के साथ करीबी मुकाबला है, जो क्षेत्र से पार्षद भी रह चुके हैं। कांग्रेस की उम्मीदवार प्रेम लता हैं। हाल ही में राज्यसभा के लिए चुने जाने के बाद आप नेता राघव चड्ढा ने यह सीट छोड़ी थी। फरवरी में उद्योग मंत्री मेकापति गौतम रेड्डी के निधन के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए आंध्र प्रदेश में उपचुनाव हो रहा है। उनके छोटे भाई विक्रम रेड्डी सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस के उम्मीदवार हैं और उनका मुकाबला भाजपा के जी भरत कुमार यादव से है।

 

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